जीवन की सीख
एक बार ट्रेन के इंतजार में एक बुज़ुर्ग रेलवे स्टेशन पर बैठकर रामायण की छोटी-सी पुस्तक पढ़ रहे थे। तभी वहां ट्रेन के इंतजार में बैठे एक युवक ने कहा, ‘बाबा, आप इन सुनी-सुनाई कहानियों और कथाओं को पढ़कर क्यों अपना समय बर्बाद कर रहे हो? इनसे आपको क्या सीखने को मिलेगा? अगर पढ़ना ही है तो मोबाइल पर ई-बुक पढ़ो, नए उपन्यास पढ़ो, फिल्मी मैगजीन पढ़ो। ये सब फालतू की दकियानूसी किताबें क्यों पढ़ रहे हो?’ इतने में अचानक ट्रेन आ गई। युवक अगले गेट से और बाबा पिछले गेट से ट्रेन में चढ़ गए। ट्रेन के चलने के थोड़ी ही देर बाद युवक की चीखने-चिल्लाने की आवाज आई। क्योंकि युवक खुद तो ट्रेन में चढ़ गया था, लेकिन उसकी पत्नी ट्रेन में नहीं चढ़ पाई, वह नीचे ही रह गई थी। तभी बाबा ने कहा, ‘बेटा, तुमने मोबाइल, उपन्यास और अन्य सैकड़ों पुस्तकों को पढ़ने की बजाय अगर रामायण ही ठीक से पढ़ी होती और उसके गूढ़ अर्थ समझे होते, तो तुम्हें ज्ञात होता कि श्रीराम जी ने नाव पर चढ़ते समय पहले सीता जी को नाव पर चढ़ाया था, फिर खुद चढ़े थे। अगर तुम भी पहले अपनी पत्नी को ट्रेन में चढ़ने का अवसर देते, फिर खुद चढ़ते, तो यह घटना नहीं होती।’
प्रस्तुति : पूनम पांडे