जींद फिर कह रहा, ‘जरूर आना इस देश लाडो’
जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 25 दिसंबर
जींद में दो बेटियों में एक को मां की कोख में ही मरवा देने और दूसरी को जन्म देते ही मरने के लिए झाड़ियों में फेंक देने की बेहद चिंताजनक खबरों के बीच एक अच्छी खबर जिले के लिंगानुपात को लेकर स्वास्थ्य विभाग के पंचकूला स्थित मुख्यालय से आई है। इसमें जींद जिले के लिंगानुपात में नवंबर महीने में 88 अंकों का उछाल आया है। जिले का लिंगानुपात 999 पर पहुंच गया है। जिले में 825 लड़कों के पीछे 824 लड़कियों ने जन्म लिया है।
अक्तूबर महीने में जींद जिले में 9181 लड़कों के पीछे 8360 लड़कियां पैदा हुई थी। जिले का लिंगानुपात 911 था, जो नवंबर में बढ़कर 999 पर पहुंच गया है। जींद जिले के लिंगानुपात में अक्तूबर महीने के मुकाबले 88 अंकों का बड़ा उछाल आया है।
प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय ने नवंबर महीने तक के लिंगानुपात के जो आंकड़े जारी किए हैं, उनमें 1095 के लिंगानुपात के साथ गुरुग्राम जिला पहले और 1005 के लिंगानुपात के साथ भिवानी जिला दूसरे स्थान पर है। 999 के लिंगानुपात के साथ जींद जिला प्रदेश में तीसरे स्थान पर है। अम्बाला का लिंगानुपात 941, चरखी दादरी का 842, फरीदाबाद का 875, फतेहाबाद का 835, हिसार का 896, झज्जर का 759, कैथल का 854, करनाल का 887, कुरुक्षेत्र का 841, महेंद्रगढ़ का 855, नूंह का 931, पलवल का 909, पंचकूला का 932, पानीपत का 951, रेवाड़ी का 861, रोहतक का 933, सिरसा का 890, सोनीपत का 870 और यमुनानगर का 895 है।
लिंगानुपात के मामले में जींद जिला एक बार फिर प्रदेश में सिरमौर बनने की तरफ है। 2022 में जींद जिला लिंगानुपात के मामले में प्रदेश में पहले स्थान पर था। कई महीने तक जींद जिले की लिंगानुपात में प्रदेश में बादशाहत पहले स्थान पर कायम रही थी।
लिंगानुपात सुधारने के प्रयास : डॉ. पालेराम
जींद में पीएनडीटी के प्रभारी डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. पालेराम कटारिया ने कहा कि जिले में लिंगानुपात सुधारने की दिशा में लगातार प्रयास हो रहे हैं। इनमें डीसी मोहम्मद इमरान रजा का पूरा सहयोग और मार्गदर्शन स्वास्थ्य विभाग को मिल रहा है।
डीसी ने स्वास्थ्य विभाग की थपथपाई पीठ
जींद के डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने लिंगानुपात में जींद जिले के प्रदेश में तीसरे स्थान पर आने के लिए स्वास्थ्य विभाग और खासकर डिप्टी सिविल सर्जन डॉ पालेराम कटारिया की पीठ थपथपाई है। उन्होंने कहा कि बेटियां आज किसी भी तरह बेटों से कम नहीं हैं।