चेयरपर्सन अंजू देवी की गई कुर्सी, फर्जी सर्टिफिकेट से जीता था चुनाव
गुरुग्राम, 17 दिसंबर (हप्र)
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सोहना नगर परिषद की अध्यक्ष अंजू देवी की आखिर कुर्सी चली गई। आठवीं कक्षा का राजस्थान से फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर चुनाव लड़ने वाली अंजू देवी 30 दिन राजस्थान में जेल में रही थीं और उन्हें सरकार का लाभ देकर फिर से अध्यक्ष बना दिया गया था लेकिन पंजाब -हरियाणा उच्च न्यायालय ने उनकी दलीलें खारिज कर बर्खास्त कर दिया है। आम आदमी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाली प्रत्याशी ललिता ने अंजू देवी के खिलाफ शिकायत देकर केस दर्ज कराया था। अंजू देवी 30 दिन राजस्थान में जेल में भी रहीं।
जमानत पर रिहा होकर भाजपा सरकार ने उन्हें फिर से चेयरपर्सन पद पर बिठा दिया था। 19 जून 2022 को नगर परिषद सोहना के चुनाव हुए थे। इस चुनाव में अंजू देवी ने जीत दर्ज की थी।
अंजू देवी द्वारा चुनाव प्रक्रिया में जमा कराए गए दस्तावेजों में से 8वीं कक्षा की मार्कशीट को फर्जी बताते हुए आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार ललिता ने राजस्थान में केस दर्ज कराया था। साथ ही पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी।
अंजू देवी को 28 मई 2023 को नगर परिषद सोहना के वार्ड-2 स्थित ग्लोबल हाइट सोसायटी के फ्लैट से राजस्थान पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया था। उन्हें अदालत ने जमानत न देकर जेल भेज दिया।
जेल जाने के साथ ही हरियाणा सरकार ने अंजू देवी को चेयरपर्सन पद से निलंबित कर दिया था। चेयरपर्सन का चार्ज वाइस चेयरपर्सन को दे दिया गया।
चार जुलाई को अंजू देवी की जमानत याचिका को अदालत ने स्वीकार करके जमानत दे दी थी। जेल से बाहर आने के करीब एक सप्ताह बाद हरियाणा सरकार ने अंजू देवी का निलंबन बहाल करके चार्ज संभालने के निर्देश दिए। अंजू देवी ने 40 दिन बाद फिर से चेयरपर्सन का पदभार संभाला।
इस तरह चला पूरा मामला
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील आर. कार्तिकेय ने कोर्ट को जानकारी दी गई कि भाजपा प्रत्याशी अंजू देवी ने फरीदाबाद के भाकरी से पढ़ाई की थी। वहां पर वह आठवीं कक्षा में फेल हो गई थी। चुनाव लड़ने के लिए अंजू देवी ने राजस्थान से बना सर्टिफिकेट जमा कराया था। जांच में सामने आया कि उस सर्टिफिकेट पर स्कूल मुखिया के फर्जी हस्ताक्षर थे। यानी सर्टिफिकेट पूरी तरह से फर्जी था।
स्कूल प्रिंसिपल ने भी अंजू देवी के खिलाफ राजस्थान में मुकदमा भी दर्ज कराया है। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अंजू ने चुनाव में जीत तो हासिल की है, लेकिन चुनाव लड़ने के लिए फर्जी प्रमाण पत्र लगाया गया। कोर्ट से मांग की गई अंजू देवी की चेयरपर्सन की शपथ पर रोक लगाई जाए। मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि राज्य चुनाव आयोग के आदेश पर डीसी को इस मामले की जांच सौंपी गई है।