चाहत और राहत
उधर सुमति से भी मौसी द्वारा बताये लड़के डॉ. कमल के बारे में मां राधा ने बात की। और कहा की पुत्र शीतल की भी सहमति है। सुमति भी अच्छे रिश्ते की सोच बनाये हुए थी। सो संयोग से मिल भी रहा है। वह सोचने लगी, देखो संयोग की बात जो लड़का शादी समारोह में उसके निकट आकर बात करने के लिये लालायित था वही उसके प्रति समर्पित होना चाहता है। शायद ईश्वर को यही मंजूर हो। सब कुछ विचार कर सुमति ने इस रिश्ते के लिये अपनी स्वीकृति दे दी।
दिनेश विजयवर्गीय
शाम के चार बजने को थे। जनवरी माह की अलसाई धूप फैली हुई थी। स्कूल टाइम पूरा हुए भी समय हो चुका था। सुमति की मां राधा उसकी प्रतीक्षा में अन्दर-बाहर हो रही थी। अब आये तब आये।
आज राधा को पुुत्री सुमति पर गर्व हो रहा था। वह स्कूल व्याख्याता अंग्रेजी विषय की जो बनी थी। आज वह पहली बार अपने ही शहर के सरकारी गर्ल्स सीनियर सैकेंडरी स्कूल में ज्वाइन करने गई थी। राधा इंतजार करती चाय के साथ नाश्ते में पकोड़ी भी बनाने में जुट गई। थोड़ी देर में ही उसकी पसंद की लोंग-इलायची अदरक वाली चाय बनाने लगी। तभी मेन गेट खुलने की आहट हुई तो राधा गैस को सिम कर बाहर आई। देखा सुमति ही थी। उसने उसे बड़े लाड़-प्यार से गले लगाया और जल्द ही चाय नाश्ते के लिये उसे तैयार होने को कहा।
मां-बेटी पकोड़ी के साथ गर्मा-गर्म चाय का आनन्द लेने लगी। मां ने उत्सुकतावश पूछा, ‘आज कैसा रहा पहला दिन?’
‘प्रिंसिपल मैडम ने स्वागत कर बधाई दी। फिर कौन-कौन सी क्लास में पढ़ाना है, उसकी जानकारी दी। मैं अपनी पढ़ाई जाने वाली सभी क्लासों में गई। सब छात्राएं भी प्रसन्न थीं। वे आश्वस्त थीं कि अब उनकी नियमित पढ़ाई होगी और बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।’
सुमति में देखा, चाय पीती मां की आंखों में आंसू भर आये। क्या बात हुई मम्मी? खुश होते हुए एकाएक यह आंसू क्यों बहाने लगी?’
‘बेटी तेरे पापा की याद आ गई। वह कोरोना में नहीं जाते तो अपनी लाड़ली बेटी की उपलब्धि पर कितने खुश होते।’ यह सुन मां के साथ वह भी रुआंसी हो गई।
कुछ देर की चुप्पी के बाद वे फिर से सामान्य हुई और फिर बातें करने लगीं। तभी हैदराबाद में एक मल्टीनेशनल कम्पनी में काम कर रहे पुत्र शीतल और बहू कामिनी को आज सुबह ही सुमति के व्याख्याता के पद पर स्कूल में ज्वाइन करने की जानकारी दी थी। शीतल खुश होकर कहने लगा, ‘मम्मी अब उसके विवाह के बारे में सोचो, पच्चीस वर्ष की हो गई। वैसे सरकारी नौकरी मिल गई तो अच्छे ऑफर आने लगेंगे। समाज की पत्रिका में एड दे देंगे। बहुत से युवाओं की जानकारी मिलने लगेगी।’
‘अच्छा मम्मी, आप मौसी के लड़के डॉक्टर नरेश की अगले महीने होने वाली शादी में कोटा चले जाना। मेरा अभी छुट्टी मिलना संभव नहीं है। काम की व्यस्तता बनी हुई है।’
अभी उनकी बातें चल ही रही थीं कि पोस्टमैन एक वैवाहिक कार्ड दे गया। कार्ड मौसी के लड़के नरेश की शादी का ही था। कार्ड में वैवाहिक कार्यक्रम देख उन्होंने शादी में जाने का कार्यक्रम बनाया।
‘अरे सुमति! तुम्हें ध्यान है न महिला संगीत के लिए गानों पर डांस की तैयारी की? डांस ऐसा हो कि देखने वाले लोग वाह! वाह! करने लगें।’
‘अभी दो सप्ताह है। फ्रेंड रजनी के घर जाकर तैयारी कर लूंगी।’
निश्चित दिन शादी में जाने के लिये मां-बेटी दोनों अजमेर से कोटा पहुंच गये। शादी समारोह की सारी व्यवस्था कोटा बून्दी के बीच एक अच्छे से रिसोर्ट में रखी थी। वह सीधे वहीं पहुंच सगाई के कार्यक्रम में सम्मिलित हो गईं। मौसी और उसके परिजनों ने स्कूल व्याख्याता बनने पर सुमति को बधाई दी। कई युवाओं की दृष्टि उसकी लम्बाई और गोरे रंग वाले आकर्षक चेहरे पर जमकर रह गई।
लंच के समय टेबल कुर्सी पर बैठकर भोजन व्यवस्था थी। सुमति के सामने एक स्मार्ट-सा दिखने वाला युवक बैठा था, जो जब तब आंख बचाकर आंख से उसे देख लेता। पर सुमति भी बड़ी चतुराई से अपनी चोर निगाहों से उसे देख लेती। वह मन ही मन सोचने लगी, कैसे लालायित नजरों से देख रहा है। जैसे मैं मीठी मिश्री की डली हूं जिसे गप से निगल जायेगा। तभी दूल्हा बने नरेश भैया उसके पास आये और उससे बातें करने लगे।
रात्रि को महिला संगीत होने को था। चहल-पहल जोरों की थी। मंच को शानदार सजाया गया था। लाइटिंग और माइक की व्यवस्था को अच्छे से टेस्ट कर लिया था।
कुछ ही देर में महिला संगीत गणपति आराधना से शुरू हुआ। फिर कई जोड़े फिल्मी गीतों पर थिरकने लगे। कई युवतियों ने भी बेहतर प्रस्तुति दी। अनाउन्सर ने सुमति का नाम बोला तो वह मंच पर जाकर अपनी पसंद का गाना चलाकर उस पर डांस करने लगी। रंगीन पोशाक उस पर बहुत आकर्षक लग रही थी। गाने के साथ ही उसके अभ्यस्त हाथ-पैर सुन्दर प्रस्तुति देने लगे। चेहरे की भाव-भंगिमा गाने के अनुरूप बनी हुई थी। उसका डांस इतना बेहतरीन हुआ कि उसकी मां भी भाव-विभोर हो गई। दर्शक वंस मोर की रट लगाने लगे। उसने दर्शकों को निराश नहीं किया और अपनी पसंद के दूसरे गाने पर डांस किया। इस बार का डांस तो लगा पहले वाले से भी बेहतर था। दर्शकों की प्रशंसा में तालियां बजती रही।
महिला संगीत के बाद लॉन में बफे सिस्टम में खाना हुआ। सुमति भी अपनी पसंद की भोजन की प्लेट ले भीड़ से हटकर डिनर लेने लगी। तभी उसने देखा कि लंच के समय सामने बैठा युवक अपनी प्लेट लेकर उसी की ओर आ रहा है। देखो, जैसे मेरे ऊपर लट्टू ही हो रहा है। जबरदस्ती मान न मान मैं तेरा मेहमान बनना चाह रहा है। वह भी उसे देख भीड़ के बीच पहुंच गई। मां भी वहीं पर लगी एक कुर्सी पर बैठी खाना खा रही थी। वह भी मां के पास ही एक कुर्सी पर बैठ गई।
सुमति बिटिया तूने बहुत अच्छा डांस किया। लोग तालियां बजाते रहे। तू ने दोनों गानों पर अच्छी प्रैक्टिस की। सुमिता को इतने समय बाद देखने वाली मौसी भी वहां आ गई और कहने लगी, ‘अब तो सुमिता के लिये भी लड़का तलाश कर जल्द इसके हाथ भी पीले कर दे। वह मौसी से यह बात सुन चुप हो गई। वैसे उसने भी सोचा हुआ था कोई अच्छा ऑफर आयेगा तो विचार करेगी।
तभी उसने देखा नरेश भैया उसी लड़के के साथ उसी की ओर आ रहे हैं। जरूर भैया का कोई निकट का होगा यह।
‘सुमति तुमने महिला संगीत में जान डाल दी। सभी तुम्हारी आकर्षक प्रस्तुति की प्रशंसा कर रहे हैं। नरेश ने कहा, ‘यह मेरे फ्रेंड हैं डॉक्टर कमल गुप्ता। यह पास के कस्बे के हॉस्पिटल में कार्यरत हैं। हमने साथ ही मेडिकल की शिक्षा ली है। हम दोनों एम.डी. हैं। यह भी तुम्हारे प्रशंसकों में से हैं। तुम्हें बधाई देने के लिये आये है।’ सुमति ने उसकी ओर देखा और मुस्कुराते हुए उसे धन्यवाद दिया। वे जल्द ही वहां से चले गये।
मां ने कहा, ‘यह लड़का डॉक्टर है और नरेश के साथ पढ़ा हुआ है। यह तभी विवाह की सभी रस्म-रिवाजों में दिखलाई दे रहा है।’ मां ने भी कमल गुप्ता को ध्यान से देखा था। अच्छा सुन्दर युवक और फिर डॉक्टर। उसने निर्णय किया कि वह लड़के के बारे में और अधिक जानकारी नरेश से लेगी। यदि सब कुछ अनुकूल हुआ तो सुमति के साथ उसके संबंध के बारे में विचार करेगी।
शादी समारोह के चलते सुमति व कमल भी कई बार एक-दूसरे के सामने हुए और मुस्कुरा जाते। सुमति का सोच भी डॉ. कमल गुप्ता के प्रति लगाव भरा होने लगा।
शादी समारोह समाप्ति के बाद सुमति और मां राधा अजमेर लौट आई। सुमति फिर अपने स्कूल में व्यस्त रहने लगी।
एक दिन नरेश और उसकी नयी नवेली दुल्हन को उसके डॉक्टर मित्र कमल के घर पर डिनर पर बुलाया। खाने के साथ बातें भी चलती रहीं। कमल की मां ने नरेश से कहा, ‘अब तुम कमल के लिये भी कोई लड़की तलाश कर दो। वैसे कुछ रिश्ते आये भी हैं, उसमें एक महिला डॉक्टर भी है। पर इसके कुछ जंच नहीं रही। अब तुम्ही देखो समझाओ।’
‘ठीक है आंटी! कमल का भी रिश्ता जल्द ही हो जायेगा। यह मेरे ऊपर छोड़ दो। मैं इस सम्बन्ध में बात करूंगा। आप तो अपने स्तर पर वैवाहिक तैयारियां करते रहे।’
खाने के बाद ड्राइंग रूम में नरेश और कमल बातें कर रहे थे। तभी नरेश ने उससे पूछ ही लिया कि जो रिश्ते आये हैं वह उसे क्यों पसंद नहीं आ रहे? कमल ने प्रत्युŸत्तर में बस इतना ही कहा, ‘मेरे दिल ने उन्हें नहीं स्वीकारा।’ ‘अच्छा तो फिर किसी के साथ मन का जुड़ाव चल रहा हो, तो वैसा बताओ? फिर वैसा ही प्रयास करें।’
नरेश की इस बात पर वह सोचने लगा और फिर मुस्कुराते हुए बोला, ‘नरेश, मुझे तुम्हारी मौसी की लड़की सुमति पसंद है। यदि उसके साथ बात बन जाये तो अच्छा रहेगा।’
उसके दिल की बात सुन नरेश हंस कर रह गया। ‘ठीक है, मैं कल ही मौसी से बात करता हूं। वैसे एक बात कहूं मुझे भी उसके प्रति तुम्हारा लगाव नजर आने लगा था।’
नरेश ने अपनी मां निर्मला से कमल की चाहत को लेकर मौसी की लड़की सुमति के बारे में बात की। ‘अरे वाह! यह तो अच्छी बात है। राधा यहां आई तभी कह भी रही थी कि कोई योग्य लड़का हो तो बताना। सुमति की शादी भी जल्द ही करनी है।’
‘मैं अभी बात करती हूं। जाना-पहचाना लड़का और फिर डॉक्टर। यह कोई कम बात नहीं कि उसने भी तेरी तरह किसी महिला डॉक्टर से शादी करना अपनी प्राथमिकता नहीं समझा।’
निर्मला ने उसी दिन शाम को अपनी बहन राधा से सुमति को लेकर डॉ. कमल गुप्ता के लिये बात की। और यह भी बता दिया कि उन्हें ज्यादा कुछ दहेज आदि की जरूरत भी नही है। यदि तुम व सुमति इस रिश्ते से सहमत हो तो जल्द जानकारी देना।
राधा ने इस रिश्ते को लेकर अपने पुत्र शीतल से बातचीत की। उसने भी इसे एक अच्छा रिश्ता बताया और फिर मासी ने भी कुछ सोचकर सुमति के लिये सोचा होगा। लड़का डॉक्टर है तथा नरेश भैया का मित्र भी है। घर बैठे अच्छा रिश्ता आया है।’
उधर सुमति से भी मौसी द्वारा बताये लड़के डॉ. कमल के बारे में मां राधा ने बात की। और कहा की पुत्र शीतल की भी सहमति है। सुमति भी अच्छे रिश्ते की सोच बनाये हुए थी। सो संयोग से मिल भी रहा है। वह सोचने लगी, देखो संयोग की बात जो लड़का शादी समारोह में उसके निकट आकर बात करने के लिये लालायित था वही उसके प्रति समर्पित होना चाहता है। शायद ईश्वर को यही मंजूर हो। सब कुछ विचार कर सुमति ने इस रिश्ते के लिये अपनी स्वीकृति दे दी।
दो दिनों बाद मौसी के लड़के नरेश का फोन आया तो राधा ने भी रिश्तों के लिये स्वीकृति देदी। नरेश खुश हुआ कि एक ओर तो उसके मित्र की पसंद सुमति उसकी जीवन संगिनी बन जायेगी और मौसी को भी सहज ही एक अच्छा दामाद मिल जायेगा।
एक दिन राधा मौसी के यहां नरेश कमल और उसके परिवार के साथ कोटा आये। राधा के बेटा-बहू भी आ गये। सबकी सहमति से वैवाहिक सम्बन्धों के लिये स्वीकृति हो गई। सुमति और कमल एक-दूसरे की ओर अपने भाग्य पर गौरवान्वित हो मुस्करा दिये।
अगले माह एक अच्छे शुभ मुहुर्त पर कमल की चाहत पूरी हुई और दोनों का विवाह सम्पन्न हो गया। कमल और सुमति एक-दूसरे के जीवन साथी बन गये। कमल दिल से खुश था कि वह सच्चे प्यार से ही सुमति को पा सका।