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गुरुग्राम के विकास के लिए मिल सकता है 52 हजार कराेड़ का ऋण

04:09 AM Jan 01, 2025 IST
गुरुग्राम में मंगलवार को अतिरिक्त उपायुक्त हितेश कुमार वित्तीय वर्ष 2025- 26 के लिए नाबार्ड की जिला स्तरीय संभावित ऋण योजना बुकलेट जारी करते हुए। -हप्र

गुरुग्राम, 31 दिसंबर (हप्र) : नाबार्ड ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 51 हजार 914 करोड़ रुपये की जिला स्तरीय संभावित ऋण योजना तैयार की है। एडीसी हितेश कुमार ने नाबार्ड के इस क्रेडिट प्लान की बुकलेट का विमोचन किया। नाबार्ड गुरुग्राम संभाग के प्रमुख विनय कुमार त्रिपाठी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ग्रामीण व आधारभूत संरचनाओं को मजबूत करने के लिए जिले में अगले साल प्राथमिक क्षेत्र को बैंकों द्वारा 51 हजार 914 करोड़ रुपए के ऋण प्रदान किए जा सकते हैं।
नाबार्ड द्वारा हर साल बैंक अधिकारियों, कृषि, शिक्षा, पशुपालन विभाग, एमएसएमई व अन्य विभागीय अधिकारियों से विचार-विमर्श करने के बाद हरियाणा व केंद्र सरकार की जनहितैषी योजनाओं को सफल बनाने के उद्देश्य से संभावित ऋण योजना तैयार की जाती है।
इस साल की संभावित ऋण योजना का विमोचन एडीसी हितेश कुमार द्वारा किया गया जिसमें वर्ष 2025-26 के दौरान बैंकों द्वारा प्राथमिक क्षेत्र जैसे कृषि, पशु पालन, मत्स्य पालन, एमएसएमई और अन्य प्राथमिक क्षेत्र जैसे शिक्षा, निर्यात, स्वास्थ्य, स्वयं सहायता समूह (सेल्फ हेल्प ग्रुप), संयुक्त दायित्व समूह (जॉइंट लायबिलिटी ग्रुप) को ऋण दिए जाने की संभावना जताई गई है।
नाबार्ड के क्लस्टर हैड ने बताया कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने प्राथमिक क्षेत्र के ढांचागत विकास के लिए सरकारी विभागों के माध्यम से अनेक योजनाएं शुरू की हुई हैं। इनमें हर साल युवाओं, कामकाजी महिलाओं, विद्यार्थियों, किसानों, अनुसूचित वर्ग, अंत्योदय परिवारों को स्वरोजगार, विद्या प्राप्त करने, औद्योगिक एवं व्यावसायिक विकास, उन्नत खेती, दुग्ध उत्पादन, उत्पादों का निर्यात आदि के लिए बैंक से लोन दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025-26 के पोटेंशियल क्रेडिट प्लान के अनुसार कृषि क्षेत्र को 3287 करोड़ रुपये, एमएसएमई अर्थात लघु व सूक्ष्म उद्योगों को स्थापित करने के लिए 45,491 करोड़ रुपये तथा अन्य प्राथमिक क्षेत्र (ओपीएस) यानि स्वास्थ्य, शिक्षा, निर्यात आदि के लिए 3135 करोड़ रुपए के ऋण दिए जा सकते हैं। अब इस प्लान के अनुसार एलडीएम अशोक कुमार की ओर से सभी बैंकों को प्राथमिक क्षेत्र की योजनाओं के अंतर्गत लोन करने के लक्ष्य दिए जाएंगे।

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