कुत्तों की नसबंदी पर खर्च हुए 1.45 करोड़, बावजूद इसके बच्चे पैदा कर रहे
सुरेंद्र मेहता/ हप्र
यमुनानगर, 31 दिसंबर
शहर में आवारा कुत्तों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। वर्ष 2017 में यमुनानगर नगर निगम ने कुत्तों की नसबंदी कराई थी, जिस पर 1.45 करोड़ की राशि खर्च हुई थी। इस राशि से 16170 कुत्तों की नसबंदी करने का दावा किया गया था। नगर निगम अधिकारियों ने नसबंदी का काम यूपी के अलीगढ़ स्थित तिरुपति फाउंडेशन एनजीओ से कराया था। ऐसे में उस दौरान हुई नसबंदी पर भी सवाल उठ रहे हैं। जब कुत्तों की नसबंदी हुई थी तो अब इनकी संख्या कई गुना कैसे बढ़ गई। लोगों की मानें तो शहर में आवारा कुत्तों की संख्या 50 हजार को पार कर चुकी है। कुत्तों से छुटकारा दिलाने से संबंधित शिकायतें लगातार नगर निगम कार्यालय में अधिकारियों के पास आ रही हैं, परंतु समाधान कोई नहीं हो रहा है।
आरटीआई एक्टिविस्ट वीरेन सपरा ने कुत्तों की नसबंदी संबंधित आरटीआई नगर निगम में लगाई थी, जिसमें सामने आया कि नगर निगम ने बिना सर्वे कराये ही नसबंदी का टेंडर एनजीओ को दे दिया था। कुत्तों की नसबंदी के लिए बाकायदा वीडियोग्राफी होनी चाहिए ताकि उसका रिकॉर्ड रखा जा सके। यमुनानगर में जो नसबंदी को लेकर खेल खेला गया उस पर सवाल उठ रहे हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि अगर नसबंदी हुई तो कुत्तों की तरह लगातार क्यों बढ़ रही है। उन्होंने इस संबंध में जांच और कार्रवाई की मांग की है।
यमुनानगर के कई इलाकों में कुत्तों के काटने की घटनाएं हो चुकी हैं। यमुनानगर जिला के लगभग प्रत्येक गली-मोहल्ले में दर्जनों कुत्ते हैं, जो हर आने जाने वाले पर झपट पड़ते हैं, इस दौरान लोग लहूलुहान हो जाते हैं। दुर्घटनाएं होती हैं। और तो और यमुनानगर के मुख्यालय पर स्थित सिविल अस्पताल में भी कुत्तों की भरमार है। कुत्तों की वजह से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, अधिकारी एवं डॉक्टर भी परेशान हैं।
सीएमओ डॉक्टर मंजीत सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के पास इस तरह का कोई बजट नहीं है कि कुत्तों पर कंट्रोल किया जा सके। इसको लेकर यमुनानगर नगर निगम को बार-बार लिखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुत्तों की वजह से कई बार दुर्घटनाएं सामने आती हैं, समाधान के लिए हम प्रयास करते हैं, लेकिन हमारे हाथ खाली हैं। किसी तरह का कोई बजट या कर्मचारी हमारे पास नहीं है। उन्होंने नगर निगम अधिकारियों से इस संबंध में दखल देकर इसके समाधान की मांग की है।