किसान गोष्ठी में प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को किया जागरूक
इन्द्री, 23 जनवरी (निस)
कृषि विभाग ने उपमंडल के गांव गढ़ी बीरबल में प्राकृतिक खेती से संबंधित किसान गोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी में कृषि विकास अधिकारी डॉ. सचिन काम्बोज ने किसानों को प्राकृतिक खेती के विषय में विस्तार से जानकारी दी।
कृषि विकास अधिकारी डॉ. सचिन काम्बोज ने कहा कि कृषि भूमि में अधिक मात्रा में रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म होती जा रही है। इसके साथ ही भूमि के प्राकृतिक स्वरूप में भी बदलाव हो रहे हैं जो किसानों के लिए काफी नुकसानदायक है। उन्होंने बताया कि रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण प्रतिदिन बढ़ रहा है। इसलिए अपनी कृषि भूमि को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाने की आवश्यकता है। प्राकृतिक खेती से कृषि भूमि में जीवाणुओं की वृद्धि भी होती है और कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती कृषि की प्राचीन पद्धति है और यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है। प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होता है, बल्कि प्रकृति में आसानी से उपलब्ध होने वाले प्राकृतिक तत्वों, तथा जीवाणुओं के उपयोग से खेती की जाती है। यह पद्धति पर्यावरण के अनुकूल है तथा फसलों की लागत कम करने में कारगर है।
कृषि विकास अधिकारी डॉ. सचिन काम्बोज ने सरकार द्वारा किसान हित में चलाई जा रही योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग से संबंधित सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसानों को *मेरी फसल मेरा ब्यौरा* पोर्टल पर अपनी सभी फसलों का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है, अत: सभी किसान समय रहते अपनी सभी फसलों का मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन जल्द से जल्द करवाएं। कृषि विभाग के सहायक तकनीकी प्रबंधक विनोद कुमार ने किसान गोष्ठी में बताया कि प्राकृतिक खेती में जीवामृत (जीवामृत), घन जीवामृत एवं बीजामृत का उपयोग पौधों को पोषक तत्व प्रदान करने के लिए किया जाता है। प्राकृतिक खेती करने से हमारे खेत की मिट्टी भी स्वस्थ रहती है और हमें फसलों से रसायन रहित खाद्य अन्य भी मिलती है। इस मौके पर किसान क्लब के अध्यक्ष चरण सिंह मढ़ान, प्रिंस गुप्ता, नरेश सहित अन्य किसान मौजूद रहे।