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किन्नर अखाड़ा : जिज्ञासा के साथ श्रद्धा का स्थल भी

04:05 AM Jan 19, 2025 IST
किन्नर अखाड़ा   जिज्ञासा के साथ श्रद्धा का स्थल भी
प्रयाग में महाकुंभ 2025 के दौरान शंख फूंकता एक किन्नर संत
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बीते कुछ सालों से अस्तित्व में आये किन्नर अखाड़े के प्रति श्रद्धालुओं का आकर्षण स्वाभाविक है। इस अखाड़े में जुटे हजारों महिला-पुरुष साष्टांग दंडवत कर उन्हें न सिर्फ पूज रहे हैं बल्कि आशीर्वाद भी ले रहे हैं। सनातन धर्म में किन्नरों को भगवान शिव-उपासक और आशीर्वाद दाता के रूप में देखा जाता है।

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शिवा शंकर पाण्डेय
तीर्थराज प्रयाग महाकुंभ में करोड़ों तीर्थयात्री, लाखों कल्पवासी मोक्ष की लालसा में आए हैं। महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, धर्माचार्य, तमाम अखाड़ों से लेकर लाखों कल्पवासियों के बीच मेला क्षेत्र के सेक्टर-16 संगम लोअर मार्ग पर मौजूद किन्नर अखाड़ा लोगों की दिलचस्पी और जिज्ञासा का विषय बना है। रोजाना हजारों श्रद्धालु यहां आकर आशीर्वाद लेकर खुद को कृतार्थ महसूस कर रहे हैं। संयोग देखिए, पैदा होने पर समाज ने ठुकराया, मुख्यधारा से अलग रखा गया। उसी किन्नर अखाड़ा में जुटे सैकड़ों-हजारों महिला -पुरुष साष्टांग दंडवत करके उन्हें न सिर्फ पूज रहे हैं बल्कि उनका आशीर्वाद लेकर खुद को कृतार्थ महसूस कर रहे हैं। किन्नर अखाड़ा उज्जैन पीठ के महामंडलेश्वर पवित्रानंद गिरि बताते हैं कि शिव पुराण में अर्ध नारीश्वर का जिक्र मिलता है । हमारे आराध्य देव शिव होते हैं। अखाड़ों पर शोध कर रहे पीयूष आनंद बताते हैं कि महाकुंभ मेला में किन्नर अखाड़ा के प्रति लोगों का आकर्षण देखा जा रहा है।
13 प्रमुख अखाड़ों में बनी खास पहचान
बीते कुछ सालों में ही किन्नर अखाड़ा की स्थापना की गई। तेरह अखाड़ों में एक प्रमुख अखाड़े के रूप में किन्नर अखाड़ा महज सात-आठ साल के भीतर अपनी खास पहचान बना चुका है। वरिष्ठ पत्रकार अनिल कुमार बताते हैं - किन्नर अखाड़ा स्थापित करने की बात आई तो शुरुआती दिनों में इसका विरोध हुआ। सुप्रीम कोर्ट में वाद दाखिल कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि थर्ड जेंडर के रूप में जब सारे अधिकार हासिल हैं तो इनको पूजा पद्धति से कैसे रोका जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बाकायदा किन्नर अखाड़ा की स्थापना हुई। इस अखाड़े के संस्थापक मुखिया और आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने देश के अलावा विदेश तक से बड़ी संख्या में लोगों को जोड़ने में खासी मशक्कत की।
इसलिए हैं खास
हिंदू धर्म छोड़कर पूर्व में इस्लाम अपनाने वाले कई दर्जन लोगों को किन्नर अखाड़ा ने घर वापसी कराई है। हिंदू सनातन धर्म में किन्नरों को भगवान शिव का उपासक और आशीर्वाद देने वाले के रूप में देखा जाता है। किन्नर अखाड़ा ने देश-विदेश, अलग-अलग क्षेत्रों में अब तक कई मंडलेश्वर और महामंडलेश्वर बनाए। आगे भी विस्तार की योजना है। महामंडलेश्वर आचार्य डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का कहना है कि ट्रांसजेंडर राइट्स को लेकर किन्नर अखाड़ा कई महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। एक समय था, जब समाज में किन्नरों को हीन दृष्टि से देखा जाता था लेकिन अब काफी सकारात्मक बदलाव हुआ है। पहले उपेक्षात्मक रवैया था लेकिन अब काफी बदलाव हुआ है।
वैश्विक स्तर पर ले जाने का लक्ष्य
बैंकॉक, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, सेन फ्रांसिस्को, अमेरिका, हॉलैंड, फ्रांस और रूस सहित दुनिया के कई देशों के ट्रांसजेंडरों को इस अखाड़े में शामिल करने का लक्ष्य है।
खुद की संतान नहीं पर हजारों की मां
खुद की कोई संतान तो नहीं हुई पर हजारों लोगों की मां, अम्मा, मइया और माई की भूमिका निभा रहीं किन्नर अखाड़ा प्रमुख डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं। हजारों किन्नरों के मां, अम्मा, माई और मइया जैसे संबोधन और अपनत्व खुद में रोमांच पैदा करता है।

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