कई नेताओं ने देश और प्रदेश में हासिल किया बड़ा मुकाम
जोगिंदर सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 26 अगस्त
पंजाब विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से निकलकर कई नेताओं ने देश और प्रदेश में बड़ा मुकाम हासिल किया है जिसमें प्रमुख रूप से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल, सत्यपाल जैन और मौजूदा सांसद मनीष तिवारी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, किरण चौधरी, कुलजीत नागरा, मालविंदर सिंह कंग, दलवीर गोल्डी, अश्विनी सेखड़ी, राजीव प्रताप रूडी के नाम प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं। इसके अलावा 2014 में स्टूडेंट्स कौंसिल प्रधान रहे दिव्यांशु बुद्धिराजा और बरिंदर ढिल्लों भी चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि उन्हें अभी तक कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है।
देश की राजनीति में सबसे बड़ा योगदान देने वाले डॉक्टर मनमोहन सिंह भी यूनिवर्सिटी के ही छात्र रहे हैं बेशक वह छात्र राजनीति में सक्रिय नहीं थे। इसी तरह से कपिल सिब्बल और डॉ. रामप्रकाश समेत कुछ अन्य नाम भी यहां से हैं जो छात्र राजनीति में नहीं रहे लेकिन उनका नाता पीयू से रहा है और राष्ट्रीय राजनीति में उनकी अपनी एक पहचान है।
चार नेता दो-दो बार बने स्टूडेंट्स कौंसिल अध्यक्ष
एक और उल्लेखनीय बात यह है कि अभी तक पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में चार ही ऐसे छात्र नेता रहे हैं जो दो-दो बार छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। सबसे पहले 1982-83 और 1983-84 में लगातार दो बार राजेंद्र दीपा स्टूडेंट काउंसिल के प्रधान रहे। फिर उसके बाद 1993-94 के बाद जब करीब नौ साल के अंतराल के बाद चुनाव हुए तो कुलजीत नागरा भी लगातार दो साल छात्र संघ के प्रधान रहे। इसी तरह 1998 से लेकर 2000 तक दयाल प्रताप सिंह रंधावा भी लगातार दो बार छात्र संघ के प्रधान रहे। आनंदपुर साहिब से मौजूदा आप सांसद मालविंदर सिंह कंग भी लगातार दो बार 2002 से लेकर 2004 तक छात्र संघ के प्रधान रहे।
दो बार आया छात्र संघ चुनाव में गैप
पीयू छात्र संघ के चुनाव 1977 से लेकर आज तक लगातार होते आए हैं, हालांकि दो ऐसे अवसर आए हैं जब चुनाव नहीं हो पाए। पहला 1984 से 1993 तक कोई छात्र संघ चुनाव नहीं हुए क्योंकि इस दौरान पंजाब में आतंकवाद का दौर रहा है। और दूसरा मौका कोविड काल के दौरान 2020-2022 तक लगातार दो साल चुनाव नहीं हो पाए।
कनुप्रिया थीं पहली महिला अध्यक्ष
पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट काउंसिल चुनाव में सिर्फ एक बार ही आज तक महिला प्रधान चुनी जा सकी हैं। छात्र राजनीति में सक्रिय पुसू और सोपू पार्टियों के अलावा पहली बार स्टूडेंट्स फॉर सोसाइटी (एसएफएस) की महिला प्रत्याशी कनुप्रिया ने 2018-19 में अपना परचम लहराया और कौंसिल की पहली महिला अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त किया।