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उम्मीदों की ऊंची उड़ान का एक मोहक कैरियर

10:15 AM May 02, 2024 IST
उम्मीदों की ऊंची उड़ान का एक मोहक कैरियर
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अशोक जोशी
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में लंबी छलांग लगायी। चांद और मंगल को छुआ है, सूरज को चूमने की कवायद भी जारी है। श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष स्टेशन से एक साथ सैकडों रॉकेटों को लांच करने का कीर्तिमान भी स्थापित किया। विश्व में भारत के अंतरिक्ष विकास की धूम है। ऐसे में युवाओं में इस क्षेत्र में कैरियर बनाने की रुचि बढ़ना स्वाभाविक है। भारत स्वदेशी यान से भारतीय युवाओं को अंतरिक्ष में भेजने की योजना पर तेजी से काम कर रहा है। जो युवा ऊंचे आसमान में उड़ान भरने के साथ अंतरिक्ष की सैर करना चाहते हैं उनके लिए एयरोस्पेस इंजीनियरिंग सही कैरियर विकल्प है।
एयरोस्पेस इंजीनियर्स का काम
एयरोस्पेस इंजीनियर्स न केवल अंतरिक्ष यात्रा का रोमांच अनुभव करते हैं बल्कि अंतरिक्ष के अनबूझ रहस्यों को सुलझाने का काम भी करते हैं। वे मुख्यतः एयरक्राफ्ट, स्पेस क्राफ्ट, उपग्रह और मिसाइलों को डिजाइन करते हैं व आकलन करने के लिए उनके प्रोटोटाइप का परीक्षण करते हैं। इसके अलावा ये निर्धारित योजनाओं के अनुरूप कार्य करते हैं। इस क्षेत्र के इंजीनियर एयर क्राफ्ट की ताकत उसकी क्षमता, विश्वसनीयता और विमान तथा उसके अन्य पार्ट्स का लम्बे समय तक टिकाऊ बने रहने के लिए ध्वंसात्मक तथा गैर ध्वंसात्मक परीक्षण कार्य कर सकते हैं।
उनका काम स्पेसक्राफ्ट, डिफेंस सिस्टम और एविएशन और एविओनिक्स में इस्तेमाल होने वाली नई इंजीनियरिंग तकनीकों को तैयार करना है। वह संरचनात्मक डिजाइन, मार्गदर्शन, नेविगेशन और नियंत्रण, इंस्ट्रूमेंटेशन और संचार, रोबोटिक्स, या प्रणोदन और दहन आदि के साथ विभिन्न प्रकार के एयरोस्पेस मशीनरी को डिजाइन करने का प्रशिक्षण भी प्राप्त करते हैं। आधुनिक युद्ध और व्यापार में देश को विकसित बनाने के लिए वे कमर्शियल प्लेन, हेलीकॉप्टर, फाइटर प्लेन, अंतरिक्ष यान, उपग्रह, प्रक्षेपण वाहन, रॉकेट और मिसाइल के निर्माण और अनुरक्षण का कार्य भी करते हैं।
आवश्यक योग्यता
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में कैरियर बनाने वालों को एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बी.ई. या फिर बी.टेक. व बी.एस. या फिर किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से समकक्ष डिग्री की आवश्यकता होती है। इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री उन उम्मीदवारों के लिए एक 4 वर्ष का कार्यक्रम है, जिन्होंने भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित के साथ कक्षा 12वीं की शिक्षा पूरी की है। मैथ्य और कम्प्यूटेशनल फ़ार्मूलों के साथ भौतिकी की गतिशीलता को समझना एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक कार्यक्रम में दाखिला लेने के लिए कुछ आवश्यक लक्षण हैं। वहीं एमएस, एम.टेक और पीएचडी आदि विश्वविद्यालयों जैसे स्नातकोत्तर डिग्री कार्यक्रमों के लिए निबंध परीक्षा और व्यक्तिगत साक्षात्कार के बाद मानकीकृत परीक्षा में स्कोर करना जरूरी है।
जरूरी स्किल
इस क्षेत्र में प्रयोग में लाए जाने वाले सभी प्लेन्स ,रॉकेट्स , हेलिकाफ्टर्स और रॉकेट मिसाइल्स आदि अत्यधिक महंगे तथा सूक्ष्म प्रौद्योगिकी पर आधारित होते हैं। इसलिए उनके संचालन से लेकर रखरखाव में खास ध्यान रखना होता हैं। इसके लिए खास शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए विशेष स्किल का होना आवश्यक है। इन कौशल में सृजनात्मक विचार क्षमता, टीम वर्कर के रूप में कार्य करने की योग्यता,लेखन कौशल, विश्लेषणात्मक गुण तथा व्यावसायिक ज्ञान एवं सोच भी जरूरी है। वहीं उनमें आपातकाल में निर्णय लेने की क्षमता भी चाहिये।
कैसे बनें एयरोस्पेस इंजीनियर
आसमान जिनकी मंजिल है उन्हें सबसे पहले इंजीनियरिंग कोर्स करना होगा। यह कोर्सेज वे 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद कर सकते हैं। ग्रेजुएशन उत्तीर्ण करके चाहें तो वे उच्च शिक्षा के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स एवं पीएचडी भी कर सकते हैं। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण कोर्सेज के नाम हैं : बीई इन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग,बीटेक इन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, बीएस इन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग ,बीएस (ऑनर्स) इन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग,एमएस इन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग,एमटेक इन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग तथा पीएचडी इन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग।
प्रमुख शिक्षण संस्थान और अनुमानित फीस
वैसे तो एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के लिए देशभर के शिक्षण संस्थानों में कोर्स हैं। लेकिन इन हाउस ट्रेनिंग और कैम्पस सिलेक्शन की दृष्टि से कुछ प्रतिष्ठित संस्थान हैं जिनकी पढाई विश्वस्तरीय है व फीस भी कम है। ये हैं -आइआइटी मुंबई,स्कूल आफ एयरोनाटिक्स एसओए नीमराणा राजस्थान,हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरू, आईआईटी कानपुर,इंडियन इंस्टीट्यूट आफॅ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरूवनंतपुरम , आईआईटी मद्रास, आईआईटी खड़गपुर के साथ ही मणिपाल इंस्टीटयूट आफ टेक्नोलॉजी और सत्यभामा यूनिवर्सिटी चेन्नई।
अवसरों का खुला आसमान
जो युवा एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं उनके लिए अब अवसरों का एक मुक्त आकाश है। ये युवा अपना कोर्स और प्रशिक्षण पूरा करने के बाद एयरलाइंस के अलावा वायु सेना, रिसर्च कंपनियों, रक्षा मंत्रालय, हेलीकाप्टर कंपनियों, विमानन कंपनियों में उच्च वेतन वाला पद प्राप्त कर सकते हैं। भारत में इस क्षेत्र में प्रमुख भर्ती करने वालों में हैं हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड, रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाएं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, नागरिक उड्डयन विभाग, एयर इंडिया, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग करने के बाद युवाओं के पास सरकारी से लेकर देशभर की प्राइवेट कंपनियों में जॉब्स के मौके उपलब्ध होंगे। उन्हें इंजीनियरिंग करने के तुरंत बाद ही 50 से 90 हजार रुपये प्रतिमाह तक का आरम्भिक वेतन प्राप्त हो सकता है। समय और अनुभव होने के साथ वेतन में लगातार बढ़ोतरी होती जाती है। एयरोस्पेस इंजीनियर ऑटोमोटिव इंजीनियर, रॉकेट साइंटिस्ट, एयरक्राफ्ट मैनेजर, टेक्निकल ऑफिसर, एयरोस्पेस ऑफिसर सहित अन्य पदों पर सेवा दे सकते हैं। उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद लेक्चरर और प्रोफेसर भी बन सकते हैं। एयरोस्पेस इंजीनियर्स के कैरियर को पंख लगाने वाले संस्थानों में इसरो, डीआरडीओ, एचएएल,नेशनल एयरोस्पेस लेबोरटरी,एयरबस इंडिया,बोइंग इण्डिया,रोल्स रॉयस इंडिया और हनीवेल इंडिया का नाम आता है।

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