इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणियां असंवेदनशील, अमानवीय : शीर्ष अदालत
नयी दिल्ली, 26 मार्च (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के बलात्कार संबंधी हालिया दृष्टिकोण पर कड़ी आपत्ति जताई तथा उसकी टिप्पणियों को पूर्णतः ‘असंवेदनशील' तथा ‘अमानवीय दृष्टिकोण' वाला बताते हुए इन पर रोक लगा दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 मार्च के अपने एक आदेश में कहा था की महज स्तन पकड़ना और ‘पायजामे' का नाड़ा खींचना बलात्कार के अपराध के दायरे में नहीं आता। इसे 'बेहद गंभीर मामला' करार देते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, ‘सामान्य परिस्थितियों में हम इस स्तर पर स्थगन देने में सुस्त हैं। लेकिन चूंकि पैराग्राफ 21, 24 और 26 में की गई टिप्पणियां पूरी तरह असंवेदनशील और अमानवीय दृष्टिकोण वाली हैं, इसलिए हम उक्त टिप्पणियों पर स्थगन देने के लिए इच्छुक हैं।' दरअसल ‘‘वी द वूमेन ऑफ इंडिया'' नामक संगठन हाईकोर्ट द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणियों को प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना के संज्ञान में लाया जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया।