आसां नहीं अब घर बनाना उसके घर के सामने
शमीम शर्मा
वह भी ज़माना था जब प्रेयसी के घर के सामने घर बनाने की ख्वाहिश प्रबल हुआ करती। इसी विषय पर एक गाने ने सारे रिकॉर्ड भी तोड़ दिये थे- ‘तेरे घर के सामने एक घर बनाऊंगा, तेरे घर के सामने दुनिया बसाऊंगा।’ इस गाने से यह तो पता नहीं चलता कि उस हीरो की क्या औकात थी, घर बनाने का उसका ब्योंत था भी या नहीं पर इसी गाने में हीरोइन ने जो चेतावनी दी थी, वह आज भी व्यावहारिक है। उसने कहा था—‘घर का बनाना कोई आसान काम नहीं, दुनिया बसाना कोई आसान काम नहीं।’
हीरोइन की बात में दम है। नये साल की सबसे खास खबर यह है कि मकानों और फ्लैटों के रेट में भारी उछाल आया है। इस बात में कोई शक नहीं है कि आम आदमी के लिये घर बनाना अब एक सपना मात्र रह गया है। वह किरायेदार के रूप में ही पैदा हो रहा है और किराये के मकान में ही जीवन की आखिरी सांस लेता है। फिर भी अपनी हसरतों का एक घरौंदा हर प्राणी बनाना चाहता है। पक्षी घोंसले बनाते हैं और शेर मांद की तलाश करते हैं। मुर्गियां दड़बों में रहती हैं और घोड़े अस्तबल में। भालू गुफाओं में और मधुमक्खियां छत्ते में। सांप-बिच्छू व चूहे-खरगोश बिलों में और सूअर बाड़ों में। इसी क्रम में मनुष्य ने झोंपड़ी, मकान और महल बनाये।
आज किसी ने घर के विविध रूपों के मतलब समझाये। जो घर हौसले से बनाये जाते हैं, उसे हाउस कहते हैं। जिन घरों में होम-हवन आदि होते रहते हैं, उन्हें ‘होम’ कहते हैं। जिन घरों में हवा ज़्यादा प्रवेश कर सकती है, उसे हवेली कहते हैं। जिन घरों में दीवारों के भी कान होते हैं उन्हें मकान कहते हैं। जिन घरों के लोन के इंस्टॉलमेंट भरते-भरते आदमी लमलेट हो जाता है, उन्हें फ्लैट कहते हैं और जिन घरों में यह भी नहीं पता हो कि बगल के घर में कौन रहता है, उसे बंगला कहते हैं।
सचमुच घर बनाना या घर के लिये प्लाट खरीदना बहुत महंगा कर्म हो गया है। दुनिया में कौन है जिसकी लालसा न हो कि अपना एक घर हो। बात छोटे-बड़े की नहीं है। बस एक घर तो होना ही चाहिए। पर घर के दाम अच्छे-अच्छों को आज घर के बाहर अपना नाम लिखने से रोक रहे हैं।
000
एक बर की बात है अक रामप्यारी अपणे बाब्बू ताहिं बोल्ली- एक छोरा मेरे ताहिं देख कै एक गाना रोज गावै है- तेरे घर के सामने एक घर बनाऊंगा। तो उसका बाब्बू अपणी लाडली तैं समझाते होये बोल्या- तू उस तैं न्यूं कह दे, मकान तो छोड़ प्लाट ही लेकै दिखा। पूरा नप ज्यैगा।