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दोहरा चरित्र
देश का तंत्र यौन शोषण के आरोपों से घिरे कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष को बचाने में लगा हुआ प्रतीत होता है। वहीं महिला पहलवान पिछले पांच महीने से न्याय की मांग कर रही हैं। सरकार ने भी आज तक अपने सांसद के विरुद्ध एक बार भी कोई टिप्पणी नहीं की है। यहां तक कि महिला पहलवानों को एफआईआर दर्ज करवाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि महिला पहलवानों को कितनी मानसिक वेदना से गुजरना पड़ा होगा। इससे सरकार के दोहरे चरित्र का पता चलता है।
देवीलाल, फतेहाबाद
देश का बढ़ता प्रभाव
आज अगर अमेरिका भारत को प्राथमिकता दे रहा है तो इसके पीछे की वजह है भारत का वैश्विक प्रभाव और स्वतंत्र विदेश नीति। अमेरिका को पता है कि अगर एशिया में चीन को काबू रखना है तो उसे भारत जैसे देशों की जरूरत पड़ेगी। उसे यह भी पता है कि भारतीय शेयर बाजार अमेरिकी कंपनियों के लिए निवेश की सबसे अच्छी जगह है। आज शेयर बाजार में अमेरिका का 35 से 40 प्रतिशत निवेश है और इतने अच्छे अवसर को कोई नहीं हाथ से जाने देना चाहेगा।
समराज चौहान, कार्बी आंग्लांग, असम
निरंकुशता पर नकेल
चौबीस जून के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का लेख ‘जागरूकता से सत्ताधीशों की निरंकुशता पर नकेल’ पर चर्चा करने वाला था। लेखक का कहना है कि निर्वाचित नेता शासक तथा जनता प्रजा नहीं होती! शासक जनता का सेवक होता है! लोकतंत्र में सत्ताधीशों को समय-समय पर लोगों की जागरूकता द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता है। अगर मतदाता जागरूक हों तो समय-समय पर सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाकर उसे ठीक रास्ते पर ला सकते हैं।
शामलाल कौशल, रोहतक
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