जसमेर मलिक/हप्रजींद, 4 दिसंबरजींद जिले के किसान गन्ने की खेती से तौबा करने लगे हैं। किसानों के गन्ने की खेती से तौबा करने का नतीजा यह है कि इस बार जींद सहकारी चीनी मिल को बृहस्पतिवार से शुरू हो रहे गन्ना पिराई सत्र के लिए मुश्किल से 10 से 12 लाख क्विंटल गन्ना ही उपलब्ध हो पाएगा, जबकि पिछले पिराई सत्र में जींद सहकारी चीनी मिल ने लगभग 22 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की थी। हरियाणा के कृषि प्रधान जिलों में शुमार जींद जिला गन्ने की खेती के लिए खास पहचान रखता है। जिले में गन्ने की खेती की बड़ी संभावनाओं को देखते हुए 1982 में यहां सहकारी चीनी मिल स्थापित की गई थी। लगभग 42 साल के इतिहास में एकाध बार ही इस मिल को गन्ने की कमी का सामना करना पड़ा है। लेकिन इस बार पेराई सत्र के लिए 2 महीने तक मिल चलाने का गन्ना उपलब्ध नहीं है। मिल ने आगामी गन्ना पेराई सत्र के लिए महज 10 लाख क्विंटल गन्ने की बॉन्डिंग की है। इस पिराई सत्र में मिल को मुश्किल से 12 लाख क्विंटल गन्ना ही पेराई के लिए मिल पाएगा। पिछले साल के मुकाबले इस साल जींद जिले में गन्ने का रकबा काफी कम हुआ है। गन्ने का रकबा आधे से ज्यादा घट गया है। जींद सहकारी चीनी मिल के कोल्हू गन्ने की पिराई के लिए 5 दिसंबर से चलने लगेंगे। पिछले साल चीनी मिल में गन्ने की पिराई नवंबर महीने में शुरू हो गई थी, क्योंकि मिल के पास पिराई के लिए बहुत ज्यादा गन्ना उपलब्ध था। इस बार कम गन्ने के कारण काफी दिन बाद पेराई शुरू की है। मिल के एमडी प्रवीण तहलान के अनुसार 5 दिसंबर से मिल में गन्ने की पेराई शुरू हो जाएगी। आगामी पेराई सत्र के लिए मिल के पास लगभग 10 से 12 लाख क्विंटल गन्ना है।42 साल में दूसरी बार गन्ने की इतनी कमीजींद सहकारी चीनी मिल के 42 साल के इतिहास में यह दूसरा मौका है, जब मिल के पास 3 महीने या इससे ज्यादा माह तक का गन्ना उपलब्ध नहीं है। लगभग 12 साल पहले जींद सहकारी चीनी मिल के पास महज 10 दिन के लिए ही गन्ना उपलब्ध था। मिल को तब केवल एक सप्ताह चलाया जा सका था। दूसरी बार है की जींद सहकारी चीनी मिल के पास मुश्किल से 2 महीने का गन्ना ही पेराई के लिए है। जींद जिले के किसान गन्ने की खेती से इसी तरह तौबा करते रहे तो मिल की पेराई क्षमता 16500 क्विंटल प्रतिदिन से बढ़ाकर 22000 क्विंटल प्रतिदिन करने की लगभग 100 करोड़ रुपये की योजना ठंडे बस्ते में चली जाएगी। यह योजना पिछले लगभग 2 साल से प्रोसेस में है।जब जून तक चलानी पड़ी थी मिलकई बार ऐसे मौके भी आए हैं, जब मिल के पास इतना गन्ना उपलब्ध रहा की गन्ने की पिराई करते हुए मिल की मशीनरी के हाथ- पांव फूलने लगे थे। 1996 में जींद सहकारी चीनी मिल को जून महीने तक चलना पड़ा था। यह जींद सहकारी चीनी मिल के इतिहास का सबसे लंबा गन्ना पिराई सीजन था।गन्ने का रकबा बढ़ाने के होंगे प्रयास : एमडीजींद सहकारी चीनी मिल के एमडी प्रवीण तहलान का कहना है कि जींद जिले में गन्ने का रकबा बढ़ाने के प्रयास होंगे। इसके लिए किसानों को मिल की तरफ से कई तरह की सुविधा दी जाएंगी। किसानों को गन्ने की खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।