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अब 'कच्चे' स्टेशनों पर भी बार कोड से मिलेगी रेल टिकट

05:42 AM Jan 01, 2025 IST
अब  कच्चे  स्टेशनों पर भी बार कोड से मिलेगी रेल टिकट
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रामकुमार तुसीर/निस
सफीदों, 31 दिसंबर : उत्तर रेलवे की रोहतक-पानीपत-जींद शाखा के हाल्ट स्टेशनों पर यात्रियों को अब टिकट बिक्री ठेकेदार की राह नहीं देखने होगी। अब रेल विभाग इस रेल शाखा पर यूटीएस एप के जरिए बार कोड से टिकट बुकिंग सुविधा देने की योजना पर विचार कर रहा है। इस योजना के लागू हो जाने के बाद यात्रियों को बार कोड से सहज ही अनारक्षित टिकट सुलभ हो सकेगी और रेल विभाग को राजस्व मिलेगा।

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बता दें कि हाल्ट स्टेशनों पर टिकट बिक्री का काम ठेके पर देने का प्रावधान है। टिकट बिक्री पर कमीशन अत्यंत कम होने से ठेके पर कोई काम करने को तैयार नहीं जिस कारण ज्यादातर हाल्ट स्टेशन कई वर्षों से बंद पड़े हैं। ऐसे स्टेशनों से यात्री बिना टिकट ही यात्रा कर रहे हैं। यह बेटिकट यात्रा करने वालों के लिए अच्छा बहाना भी है। इसीलिए टिकट चेकिंग भी इस रेलशाखा पर नहीं है।
रेल विभाग के एक अधिकारी ने आज बताया कि रेल का यूटीएस (अनरिजर्व्ड टिकटिंग सिस्टम) एप लागू करते हुए उन सभी स्टेशनों पर रेल का बार कोड लगाया जाएगा जिन पर विभाग की टिकट बिक्री व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। यात्री यूटीएस एप में पंजीकरण कर बार कोड स्कैन कर ऑनलाइन टिकट अपने खाते से किराया भुगतान कर हासिल कर सकेंगे। अधिकारी ने बताया कि इस व्यवस्था में रेलगाड़ी के समय से तीन घंटे पहले टिकट बुक की जा सकेगी।
अनपढ़ व कम पढ़े यात्रियों को होगी दिक्कत : इस प्रणाली में अनपढ़ व कम पढ़े लिखे उन यात्रियों को दिक्कत होगी जो मोबाइल चलाना नहीं जानते या जिनके पास एंड्रॉइड मोबाइल फोन नहीं होगा। दिक्कत यह भी होगी कि ऐसे यात्रियों के जानकार परिजन स्टेशन तक आकर टिकट बुक करा भी लेंगे लेकिन यात्रा के दौरान टिकट चेक होने लगी तो यात्री को मुश्किल होगी।

सुनसान हैं दर्जनों रेलवे हाल्ट : ऐसे हाल्ट स्टेशन रात में अंधेरे में डूबे रहते हैं। नशेड़ियों की पनाहगाह बने ऐसे स्टेशनों पर रेल की संपत्ति का भी निरंतर नुकसान हो रहा है। रेल विभाग को इस रेलशाखा के हाल्ट वर्ग के दर्जनों स्टेशनों के लिए टिकट बिक्री ठेकेदार सुलभ नहीं हो रहे हैं। विभाग इसके लिए पिछले कई वर्षों से प्रयास कर रहा है। पूर्व में काम कर रहे ठेकेदारों ने कई वर्ष से काम बंद किया हुआ है। ऐसे टिकट बिक्री ठेकेदारों में नरेश कुमार का कहना है कि टिकटों की बिक्री पर रेल विभाग की तरफ से उनके लिए जो भुगतान निर्धारित है वह दिहाड़ीदार मजदूर की मजदूरी के चौथे हिस्से से भी कम है। इस शिकायत के साथ वे अनेकों बार विभागीय अधिकारियों से मिल चुके हैं लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ तो सभी हाल्ट ठेकेदार टिकट बिक्री का काम छोड़कर अपने अन्य धंधे में लग गये हैं।

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