अनुभव की शिक्षा
दार्शनिक जॉर्ज गुरजिएफ ने अपने जीवन निर्माण में अपनी माता की दी गई सीख को सदैव सर्वोच्चता पर रखा। उन्होंने अपनी आत्मकथा में माता द्वारा दी गई एक बहुमूल्य शिक्षा का वर्णन किया है, जिसके कारण वे अनेक भ्रमों से बचे और आनंद भरे अनेक अवसर पा सके। वे लिखते हैं कि मेरी माता ने मरते समय कहा, ‘किसी पर क्रोध आए तो उसकी अभिव्यक्ति चौबीस घंटे से पूर्व न करना।’ मैंने वह बात गांठ बांध ली और आजीवन उसको निभाया। ऐसे अनेक अवसर आए, जब मुझे बहुत क्रोध आया था, पर बाद में विचार करने पर पता चला कि तथ्य कम और भ्रम अधिक था। क्रोध के परिणामों पर विचार करने का अवसर मिलते रहने से उसे कार्यान्वित करने की नौबत न आई और जो लोग शत्रु लगते थे, वे आजीवन मित्र बने रहे। यह कहना कोई अतिशयोक्ति न होगा कि आज जहां मैं हूं,उस ऊंचाई तक पहुंचने में मेरी माता की शिक्षा और सीख ही काम आई।
प्रस्तुति : राजेंद्र कुमार शर्मा