For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

आपकी राय

06:29 AM Aug 01, 2024 IST
आपकी राय
Advertisement

साफ-सुथरी परीक्षा
संपादकीय ‘नीट अब क्लीन’ में उल्लेख है कि परीक्षाएं रद्द और‌ पुन: करने, लंबित रखने और विलंब से होने से परीक्षार्थी असमंजस और असंतोष के शिकार होते हैं, क्योंकि बारंबार तैयारी और परिणाम पर संशय के साथ बेईमानों और माफियाओं से अस्थिरता भी बनी रहती है। कोर्ट सबूतों के मद्देनजर निर्देश और आदेश दे सकती है, जबकि परीक्षा तो उक्त एजेंसियां ही संपन्न करवाती हैं। एनटीए और नीट का कायाकल्प शीघ्र किया जाए या तथा अन्य व्यवस्थाएं होने तक संबंधित सभी विभागों को परीक्षाएं लेने हेतु अधिकृत किया जाए। परीक्षार्थियों का संतुष्ट होना भी जरूरी है।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन

Advertisement

नशे की मार
हरियाणवी युवा वर्ग आज नशे की गिरफ्त में है। शहरों से लेकर गांव-देहात तक नशा अपने पैर पसार चुका है। किशोरों और नवयुवकों का इस जानलेवा नशाखोरी में फंसना गंभीर चिंतनीय विषय है। ऐसा नहीं कि बाहर से आने वाले इन मादक पदार्थों के बारे में राज्य पुलिस अनभिज्ञ है, लेकिन दुर्भाग्यवश न तो कोई राजनीतिक पार्टी और न ही कोई सामाजिक संस्था इस बुराई पर ध्यान दे रही है। यदि समय रहते हालात पर काबू नहीं पाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब आज देश को हर क्षेत्र में मेडल दिलाने वाला छोटा-सा साधन सम्पन्न राज्य हरियाणा भीतर से खोखला नजर आएगा।
सुरेन्द्र सिंह, महम

स्थायी समाधान हो
तीस जुलाई के अंक में संपादकीय ‘प्रतिभाओं की जल समाधि’ पढ़ा। व्यवस्था की नाकामी से हर वर्ष ऐसी मौतें होती रहती हैं। मगर व्यवस्थात्मक या संस्थागत सुधारों की तरफ़ कोई ध्यान नहीं दे रहा। सवाल उठता है कि हादसे के बाद पुलिस, नगर निगम, अग्निशमन विभाग आदि जो सक्रियता दिखा रहे हैं अगर ये सक्रियता पहले दिखाते तो हादसा नहीं होता। वैसे ये सक्रियता क्षणिक है। सब धूल बैठने का इंतज़ार कर रहे हैं।
बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उ‍.प्र.

Advertisement

Advertisement
Advertisement