मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

आपकी राय

07:35 AM Jul 30, 2024 IST
Advertisement

मार्गदर्शक विचार

चौबीस जुलाई के दैनिक ट्रिब्यून में श्री गुरबचन जगत का लेख ‘शिक्षा से ही टूटेगा डेरों और बाबाओं का तिलिस्म’ विषय पर चर्चा करने वाला था। लेखक का मानना है कि गरीब लोग अंधविश्वास के कारण इन बाबाओं के चक्रव्यूह में फंस जाते हैं। वहीं बाबाओ को राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त होता है। इनका प्रयोग राजनेता लोग चुनाव में करते हैं। अधिकतर बाबाओं की आपराधिक पृष्ठभूमि होती है। यही कारण है कि कुछ बाबा आजकल सलाखों के पीछे हैं। लेखक का सुझाव सार्थक है कि शिक्षा के द्वारा आम लोग अपने अंधविश्वासों को दूर कर सकते हैंैं।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

आधुनिक सेना

कारगिल युद्ध ने भारत को कई नये सबक सिखाए हैं। पच्चीस साल पहले सैनिकों के पास युद्ध लड़ने के लिए पर्याप्त संसाधन तक उपलब्ध नहीं थे। आज इतने अंतराल के बाद सेना का कायापलट हो गया है। सेना के पास आज सभी आधुनिक संसाधन मौजूद हैं। अत्याधुनिक युद्ध सामग्री और मजबूत गुप्तचर तंत्र मौजूद हैं। यद्यपि देश की सुरक्षा में लगे सैनिकों के लिए निरंतर नई तकनीकों की आवश्यकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नई तकनीक का उपयोग करके देश को और आगे ले जाने की जरूरत है।
विभूति बुपक्या, खाचरोद, म.प्र.

Advertisement

संकीर्ण राजनीति

लोकसभा चुनाव और बजट के बाद भिन्न-भिन्न क्षेत्रीय नेताओं के बयान सुखकर नहीं हैं। लोकसभा चुनाव में ‘उत्तर भारत बनाम दक्षिण भारत’ के बाद केंद्रीय बजट के बाद मेरे प्रान्त को कुछ नहीं मिला, दूसरे प्रान्त को अधिक मिल गया जैसे बयान राज्यों की जनता में वैमनस्य फैलाने का कार्य कर रहे हैं। पहले किसी भी राज्य पर आई आपदा में अन्य राज्य बिना राजनीतिक हित देखे आर्थिक सहायता की घोषणा कर देते थे। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए क्या भविष्य में इसका आशा की जा सकती है? देश के लिए इस अनुपयोगी चारित्रिक राजनीति पर गम्भीर मंथन और इस पर रोक लगाने की आवश्यकता है।
सतप्रकाश सनोठिया, रोहिणी

संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशनार्थ लेख इस ईमेल पर भेजें :- dtmagzine@tribunemail.com

Advertisement
Advertisement