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आपकी राय

06:39 AM Jun 26, 2024 IST
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आरक्षण रक्षण

बिहार में आरक्षण का मुद्दा फिर सुर्खियों में है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कही है। जबकि विपक्षी नेता इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का काम कर रहे हैं। वैसे आरक्षण व्यवस्था एक संवेदनशील मुद्दा है। आरक्षण के नाम पर सभी राज्य सरकार अपनी पीठ थपथपाती नजर आती हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि देश की अधिकांश व्यवस्थाओं एवं सेवाओं को निजीकरण के तहत संचालित किया जाता है, जबकि यहां आरक्षण की कोई सुविधा नहीं होती है। दूसरी ओर, किसी भी राज्य और न उनकी संस्थाओं में आरक्षण का निर्धारण कोटा कभी पूरा किया गया है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

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लोकतांत्रिक भावना

अठारहवीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू हो गया है। अब सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष को नये भारत के विकास के लिए रचनात्मक भूमिका के लिए सजग हो जाना चाहिए। सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष को चुनाव परिणाम से सीख लेनी चाहिए कि जनता आपसे क्या अपेक्षा करती है। सरकार को भी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन प्रतिपक्ष का यह मायने कतई नहीं कि वह सरकार के अच्छे कार्यों को भी समर्थन न दे। पिछली सरकार ने अनेक कल्याणकारी योजनाएं लागू कीं, लेकिन विपक्ष ने सभी योजनाओं को औचित्यहीन करार दिया। विपक्ष का रवैया लोकतंत्र की भावना के विरुद्ध है।
सतप्रकाश सनोठिया, रोहिणी, दिल्ली

हृदयस्पर्शी कहानी

सोलह जून के दैनिक ट्रिब्यून अध्ययन कक्ष अंक में अनुपमा नौडियाल की ‘शुभ हो तुम...’ कहानी दिल की गहराइयों में उतर गयी। शादी जैसे मांगलिक कार्यों में कथित अशुभ होने की धारणा का विरोध करना कथा नायिका का साहसी कदम था। वहीं दूसरी ओर युगीन रूढ़िवादी परंपराओं के टूटने का खमियाजा निंदा का पात्र बनाता है। कहानी के आंतरिक और बाह्यपक्ष का चित्रण मन-मस्तिष्क में सवालिया निशान छोड़ता है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

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संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशनार्थ लेख इस ईमेल पर भेजें :- dtmagzine@tribunemail.com

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