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आपकी राय

06:14 AM Jun 04, 2024 IST
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जीवनदायिनी नदियां
देश के पौराणिक साहित्य पर नज़र डालें तो नदियां भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। भारत में ज्ञान-विज्ञान की खोज नदियों के किनारे हुई है। लोग नदियों को ‘मां’ कहते हैं। भारतीय धर्म और संस्कृति के जगमगाते द्वीप नदियों के किनारे हैं, जैसे हरिद्वार, ऋषिकेश, मथुरा अन्य बहुत सारे तीर्थ स्थल हैं। गंगा नदी को माता का दर्जा दिया गया हैं। गंगा हिमालय की पवित्र कंदराओं से निकलकर मैदानी क्षेत्र में खेतों को भी सींचती हुई, 2480 किलोमीटर का रास्ता तय करके समुद्र में मिल जाती है। यह अपनी सहायक नदियों सहित बहुत बड़े क्षेत्र के लिए सिंचाई के लिए बारहमासी हैं। भारत की लगभग 50 प्रतिशत कृषि क्षेत्र की सिंचाई इन्हीं नदियों पर निर्भर है।
सौरभ बूरा, जीजेयू, हिसार

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जैविक खेती जरूरी
एक जून के दैनिक ट्रिब्यून में अखिलेश आर्येन्दु का लेख ‘जैव विविधता बचाने को प्राकृतिक खेती की राह’ विषय पर चर्चा विश्लेषण करने वाला था। आजकल प्रत्येक खाद्यान्न में कीटनाशकों का इतना प्रयोग होता है कि जैव विविधता समाप्त होने के कारण कई पौधों तथा पक्षियों की प्रजातियां समाप्त हो गई हैं। नतीजतन मानव को कई प्रकार की बीमारियां लग रही हैं। इसका इलाज सिर्फ प्राकृतिक खेती है। बेशक महंगी है, अगर अनावश्यक कीटनाशकों के प्रभाव से बचना है और श्वास, त्वचा, दिल और दिमाग की बीमारियों से बचना है, पर्यावरण की रक्षा करनी है तो इसके लिए जैविक खेती जरूरी है।
शामलाल कौशल, रोहतक

जनादेश के निहितार्थ
एग्जिट पोल के नतीजों से विपक्षी दलों के दिल की धड़कनें तेज हो गई हैं। तीसरी बार भाजपा सरकार के आने के डर से एग्जिट पोल के नतीजों को फर्जी बता कांग्रेस को हार का डर सता रहा है। एग्जिट पोल के नतीजे शतप्रतिशत सही न भी हों लेकिन भाजपा के सत्तारूढ़ होने की ओर तो इशारा कर ही रहे हैं। फिलहाल नतीजे घोषित होने के बाद पता चल ही जाएगा कि जनता को किस पार्टी पर भरोसा है और जनता का बहुमत किसके साथ है।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली

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