For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

आपकी राय

06:33 AM May 14, 2024 IST
आपकी राय
Advertisement

दंडनीय अपराध बने
हमारे समाज का एक वर्ग महिलाओं के प्रति अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करता है। यह महिलाओं को मानसिक पीड़ा देता है। सवाल उठता है कि अगर कोई व्यक्ति किसी को जातिसूचक गाली निकालता है, तो कानून उसको दंड देता है। उसे जेल तक हो जाती है, जुर्माना भी और जमानत भी बड़ी कठिनाई से होती है। अगर जातिसूचक गाली निकालना अपराध है तो महिला सूचक गाली निकालना स्वीकार्य कैसे हो सकता है? भारत की स्त्रियों के हित में भी कोई ऐसा आदेश न्यायालय पारित कर दे कि जिससे महिलाओं का इस प्रकार अपमान करना, गालियां देना दंडनीय अपराध हो जाए।
लक्ष्मीकांता चावला, अमृतसर

Advertisement

भरोसे के रिश्ते
रूस ने अगर अमेरिका की चालबाजी से भारत को सतर्क कर अपनी दोस्ती निभाई तो यह पक्की दोस्ती और भरोसे की बात है। दूसरी तरफ अमेरिका हमसे गरज निकलने वाले संबंध अधिक रखता है। कोरोना काल में सच्चे मित्रों की पहचान भी हो चुकी है। विपक्ष के नेताओं को भी अपना नजरिया बदलना चाहिए जो लगातार मोदी सरकार की नीतियों को कोसते रहते हैं। चुनावों में अमेरिकी दिलचस्पी से यह साबित हो गया है कि भारतीय लोकतंत्र और उसकी परंपराएं कितनी अहमियत रखती हैं।
अमृतलाल मारू, इंदौर, म.प्र.

जागरूकता में समाधान
आठ मई के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का ‘जन जागरूकता रोकेगी चुनावी स्तर में गिरावट’ लेख विश्लेषण करने वाला था। देखने में आया है कि चुनावों के प्रचार के दरमियान भाषणों का स्तर निम्नतम सीमा तक पहुंच गया है। चुनाव जनतंत्र का उत्सव ही नहीं होते बल्कि उसकी प्राण वायु भी होते हैं। परंतु ज़हर घोलने वाले शब्दों के प्रयोग के कारण यह प्राण वायु दूषित हो गई है। ऐसे में मतदाताओं की जागरूकता ही स्थिति में सुधार कर सकती है।
शामलाल कौशल, रोहतक

Advertisement

Advertisement
Advertisement