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आपकी राय

07:06 AM Apr 09, 2024 IST
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सबक सिखाने का वक्त

तीन अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का लेख ‘पलटूरामों को सबक सिखाने का है वक्त’ सत्ता सुख प्राप्त करने के लिए राजनेताओं द्वारा इधर-उधर पलटने का पर्दाफाश करने वाला था। आज जब भी कोई राजनेता पार्टी बदलता हैं तो उसे कोई शर्म महसूस नहीं होती। लेकिन सत्ता सुख के लालच के तहत पाला बदलने को घर वापसी, आत्मा की आवाज आदि शब्दों से उचित ठहराने की कोशिश की जाती है। यह सब लोकतंत्र में हमारे विश्वास को कमजोर करता है। मतदाताओं को चाहिए कि ऐसे दलबदलुओं को उन्हें घर बैठा दें। ऐसे नेता भरोसे के काबिल नहीं होते।
शामलाल कौशल, रोहतक

संकट की दस्तक

आठ अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘संकट की दस्तक’ सिक्किम-केदारनाथ में ग्लेशियर झील के फटने से होने वाली भारी तबाही का वर्णन करने वाला था। ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप सरकार को इन झीलों से सुरक्षा हेतु ठोस उपाय करने चाहिए। पहाड़ों पर ग्लेशियर का फटना तथा तबाही लाना बहुत बड़े संकट का खतरा है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

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व्रत का संदेश

चैत्र नवरात्र आज से शुरू हो रहे हैं। इन नौ दिनों में माता नवदुर्गा की पूजा की जाती है। वहीं व्रत रखकर आध्यात्मिक व शारीरिक शुद्धता को बल मिलता है। नवरात्र हमें सादगी, ईमानदारी, परोपकार और सत्मार्ग पर चलने की शिक्षा देते हैं। नवरात्र का समय आत्मा शुद्धि और प्रकृति को समझने का समय भी है।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर

प्रमाणिक जानकारी दें

कुछ लोग आयुर्वेद के नाम पर भ्रामक विज्ञापन के माध्यम से बीमारियों के इलाज का दावा करते हैं। उन्होंने आधुनिक चिकित्सा को बदनाम कर लोगों के विश्वास को ठेस पहुंचाई है। सरकार को चाहिए कि केवल प्रमाणिक व सत्यापित तथ्य ही जनता तक पहुंचाए जाएं ताकि लोग भ्रमित न हों।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली

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