For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

आपकी राय

08:54 AM Oct 25, 2023 IST
आपकी राय
Advertisement

टकराव टले

इक्कीस अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित खबर ‘राज्यपाल के खिलाफ जाएंगे सुप्रीम कोर्ट : मान’ गवर्नर तथा मुख्यमंत्री के टकराव का वर्णन करने वाली था। पंजाब ऐसा पहला राज्य नहीं है जहां पर गवर्नर और मुख्यमंत्री में टकराव हो रहा है। इससे पहले बंगाल में पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए, दिल्ली के उपराज्यपाल भी आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए कई प्रकार की परेशानियां खड़ी करते रहे हैं। दोनों पक्षों को सामंजस्य बनाकर काम करना चाहिए ताकि किसी प्रकार का टकराव पैदा न हो।
शामलाल कौशल, रोहतक

इंकार के मायने

‘मान्यता से इंकार’ संपादकीय में समलैंगिक विवाह पर सही प्रकाश डाला गया है। समलैंगिक विवाह को सरकार द्वारा मान्यता नहीं मिलना ही इस तरह की प्रवृत्ति को समाज में पनपने से रोकेगी। अन्यथा कानूनी दांव पेंच में हर समलैंगिक जोड़ा उलझ के रह जायेगा। इसीलिए कोई कानून इस बारे में नहीं बनना ही इस प्रस्ताव को विराम देगा। आज की पाश्चात्य संस्कृति ने ऐसी कितनी ही विकृतियों को जन्म दिया है, बाद में जिसके दुष्परिणामों से जीवन दूभर हो जाता है। समलैंगिक संबंधों को परामर्श केंद्रों द्वारा उचित सलाह से रोका जा सकता है।
भगवानदास छारिया, इंदौर

Advertisement

यक्ष प्रश्न

‘मान्यता से इनकार’ संपादकीय में समलैंगिक विवाह को लेकर जिस तरह के विचार रखे हैं उन पर मंथन जरूरी है। विवाह भारतीय संस्कृति में दो आत्माओं का पवित्र बंधन माना गया है। ठीक इसके विपरीत समलैंगिक विवाह न तो संस्कृति के अनुकूल हैं न ही कानून उन्हें मान्यता दे रहा है। इससे विवाह की मूल अनिवार्य शर्त वंश वृद्धि की उम्मीद कैसे पूरी हो सकती है? कोर्ट के इनकार के बाद भले ही कोई समलैंगिक विवाह के जरिए अपना जीवन निर्वाह करे, लेकिन उसके नफा-नुकसान अपनों को ही झेलने पड़ेंगे।
अमृतलाल मारू, इन्दौर, म.प्र.

संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशनार्थ लेख इस ईमेल पर भेजें :- dtmagzine@tribunemail.com

Advertisement

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×