मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

अपना सफर, अपनी धरती

06:35 AM Oct 07, 2024 IST

साधना वैद

Advertisement

मुझे यात्रा करना बहुत पसंद है। सबसे ज्यादा ट्रेन से, फिर सड़क मार्ग से। हवाई जहाज से तो बिलकुल भी नहीं। ट्रेन के सफर में नदी, पर्वत, झरने, खेत-खलिहानों से बातें भी हो जाती हैं और गांव-देहात की सुन्दर इन्द्रधनुषी जीवनशैली के दर्शन भी हो जाते हैं। सड़क मार्ग से भी कई शहरों के अंदरूनी भाग के दर्शन हो जाते हैं। आसपास की चीजें दिख जाती हैं। लोगों से बात हो जाती है। हवाई जहाज से क्या? टेक ऑफ के कुछ देर बाद ही बस बादलों के बीच उड़ते रहो। न ठीक से खड़े होने के, न पैर सीधे करने के और जो साथ वाली सीट पर कोई बंद किताब-सा बन्दा बैठा हो तो बोलने-बतियाने से भी गए।
इन दिनों अमेरिका में हूं। यहां तो जहाज से ही आना मजबूरी थी। बाकी घूमना-फिरना सड़क मार्ग से हो रहा है। यहां के खेत-खलिहान जंगल मैदान इतने सुन्दर हैं कि नज़रें हटने का नाम ही नहीं लेतीं। यहां एक ही चीज़ की कमी महसूस होती है कि शहर में आपको किसी भी प्रकार की गतिविधि या सक्रियता का आभास नहीं मिलता। पेट्रोल पंप पर भी कोई कर्मचारी नज़र नहीं आता। न किसी से दुआ, न सलाम। कुछ कारें सड़कों पर चलती दिख जाती हैं। या इक्का-दुक्का लोग अपने पेट डॉग्स को टहलाते हुए भूले से दिखाई दे जाते हैं।
कैलिफोर्निया खूबसूरत पाम वृक्षों के लिए जाना जाता है। यहां राह में झाड़ियों की कटिंग इतनी सफाई और निपुणता के साथ की जाती है कि लगता है सुंदर रंग-बिरंगे फूलों के गुलदस्तों से पूरे रास्ते को सजाया गया है। मुझे तो अपनी दाईं ओर की हरीभरी पहाड़ियां और तरह-तरह के सुन्दर वृक्षों से सुसज्जित घाटियां ही अधिक लुभाती रहीं। मुझे लगता है ये पेड़ भी मुझसे बातें करते हैं। एक फर्न का पेड़ है उसका नाम शायद बोस्टन फर्न है वह मुझे हमेशा गुस्से में भरा लगता है। मैंने उसका नाम ‘चिड़चिड़ा पेड़’ रखा है। ऐसा लगता है वह गुस्से में है। कई बार लगता है कि वह नाराजगी ज्यादा ही जता रहा है।
ऐसी बातों को भले ही कोई अजीब-सा माने, लेकिन पेड़ों की भाव-भंगिमा भी देखने लायक हो जाती है। मैं अपने अपने अनुभव बच्चों को और पतिदेव को सुनाती तो सब मुझे पागल ही समझते। आप भी मुझे ऐसा ही कुछ कहें इससे पहले अपना यह संस्मरण यहीं समाप्त करती हूं। जल्दी ही अपनी धरती पर आऊंगी, असल आनंद तो यहीं है।
साभार : सुधिनामा डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

Advertisement
Advertisement