विशिष्ट गुणों को समृद्ध कर जीत सकते हैं सबका भरोसा
ऑफिस में अपने वरिष्ठों का कृपापात्र बनना आपके विशिष्ट गुणों पर निर्भर है। यदि आप जरूरी विशेषज्ञता व स्किल्स से लैस रहें तो कंपनी की प्राथमिकता बने रहेंगे। दरअसल कंपनियों के भरोसेमंद ऐसे मेहनती व स्मार्ट कर्मचारी होते हैं जिनमें अपडेट रहने व सहयोग की प्रवृत्ति हो।
शिखर चंद जैन
जब-जब मार्केट में मंदी आती है या किसी कंपनी अथवा फर्म का बिजनेस डिस्टर्ब होता है, तो कंपनियां या फर्म सबसे पहले अपने खर्चों में कटौती का रास्ता ढ़ूंढ़ते हैं। इस प्रोसेस में सबसे पहला नम्बर आता है कर्मचारियों की तनख्वाह या फिर उनकी संख्या में कटौती का। अगर कोई कर्मचारी या अधिकारी इस खतरे से खुद को सुरक्षित रखना चाहता है, तो उसके लिए कुछ खास उपाय करने चाहिये।
एक्सपर्ट बनें किसी खास चीज में
सबसे पहले इस बात का आकलन करें कि आप जिस कंपनी में काम कर रहे हैं उसका पूरा दारोमदार किन चीजों पर है। जैसे आपके क्लाइंट कौन हैं, कंपनी किस चीज का प्रोडक्शन करती है और उसकी जरूरत के रॉ मैरीटियल क्या हैं, आपकी कंपनी किसी खास कंप्यूटर सॉफ्वेयर का इस्तेमाल करती है आदि। अब आप इन चीजों की उपलब्धता और विक्रय से जुड़े पहलुओं पर गहरी पकड़ बनाने की कोशिश करें। जैसे क्लाइंट विदेशी हैं, तो अंग्रेजी सहित दूसरी विदेशी भाषाओं और वहां के लोगों की आदतों की जानकारी में इजाफा करें, कंपनी द्वारा प्रयुक्त सॉफ्टवेयर की जटिलताओं को समझें और उस पर पकड़ बढ़ाएं, रॉ मैटीरियल की सप्लाई शॉर्ट होने का अंदेशा हो, तो वैकल्पिक उपलब्धता की जानकारी रखें, माल बेचने के नए-नए तरीके ढ़ूंढ़े और इन सब चीजों की जानकारी अपने बॉस को समय-समय पर देते हैं। इससे आप कर्मचारियों की भीड़ में शामिल न होकर ऑफिस के खास विश्वासपात्र और अहम लोगों की सूची में शामिल हो जाएंगे। बॉस को आपकी एक्सपर्टाइज पर नाज तो होगा ही, वे आपको एक भरोसेमंद इंसान भी मानने लगेंगे।
सहकर्मियों की मदद और प्रेरणा
यहां भी आपका अतिरिक्त और विशेष ज्ञान आवश्यक है। आपकी कोशिश होनी चाहिए कि आप अपने विषय में ऑफिस के दूसरे लोगों से अधिक जानकारी रखें और अपने सहकर्मियों के साथ सहयोग की भावना रखें। जब भी कोई कर्मचारी पर्सनल या प्रोफेशनल मुसीबत में हो तो उसका पूरा साथ दें और उसे सही मार्गदर्शन देते हुए मानसिक संबल प्रदान करें। आपका यह गुण और आपकी आदत मैनेजमेंट से छिपी नहीं रहेगी क्योंकि आप ऑफिस के सबसे लोकप्रिय लोगों की गिनती में होंगे। ऐसे में आप बॉस की नजर में तो रहेंगे ही, मंदी के दौर में छंटनी के लिए आपका नाम सुझाने वाला भी कोई न होगा। हर कोई चाहेगा कि आप ऑफिस में बने रहें।
‘दस से पांच’ नहीं, ‘पूरा काम’ एटीट्यूड
बहुत से कर्मचारी अपने ऑफिस को 10 से 5 की ड्यूटी समझ कर अपना टाइम पास करते हैं। सुबह 10 के बाद भले ही पहुंच जाएं लेकिन शाम को 5 के बाद टेबल से नदारद मिलेंगे। ऐसे लोग मैनेजमेंट की नजर में रहते हैं। छंटनी के वक्त ऐसे लोगों का नम्बर सबसे पहले आता है। आप किसी भी संस्थान के लिए काम करते हैं, तो वहां के प्रबंधन को ऐसा लगता चाहिए कि आप उनकी टीम का एक अहम हिस्सा हैं। इसके लिए आपको अपनी जिम्मेदारियों का अहसास होना चाहिए और काम के लिए पूर्ण समर्पण होना चाहिए। अपनी टेबल पर आया काम निपटाकर ही उठने की आदत डालें। कभी जरूरत पड़े और कोई आवश्यक काम हो, तो सुबह 10 बजे से पहले भी ऑफिस में पहुंचने में कोई हर्ज नहीं। बल्कि शाम को आधा घंटा बाद निकलने और सुबह 15 मिनट पहले पहुंचकर अपनी रूटीन एडजस्ट करने का आपको लांग टर्म फायदा ही मिलेगा। प्रमोशन के वक्त ऐसे लोगों का नम्बर जल्दी आता है।
खुद को अपडेट करते रहें
ध्यान रखें, यह दुनिया हर पल बदल रही है। आपने नौकरी ज्वॉइन करते वक्त क्या पढ़ा या सीखा, वह लगातार पुराना और आउटडेटेड होता जा रहा है। चाहें तकनीक हो या नियम हों, हर रोज बदलाव आ रहे हैं। रोज नए कानून बन रहे हैं। इसलिए एक बार डिग्री हासिल करके निश्चिंत न बैठें। खुद को बदलते वक्त के मुताबिक लगातार बदलते रहें। नई-नई चीजें सीखें, नई-नई जानकारियां हासिल करें और खुद को वक्त के अनुरूप तैयार करते रहें। आज की प्रोफेशनल दुनिया में हर कोई एक अपडेट एग्जीक्यूटिव चाहता है। घिसे-पिटे लोगों के साथ कोई आगे नहीं बढ़ना चाहता। इसलिए तेज तर्रार और स्मार्ट बनें।