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गर्भावस्था में भी कर सकती हैं हल्का व्यायाम

11:31 AM Feb 28, 2024 IST

मातृत्व की प्रक्रिया से गुजर रही महिलाओं के लिए सुरक्षित व हल्का व्यायाम जरूरी है ताकि खुद का स्वास्थ्य बेहतर रहे व प्रसव में कम से कम परेशानी हो वहीं गर्भस्थ शिशु का विकास सामान्य हो। हालांकि एक्सरसाइज के समय व तरीके को लेकर डॉक्टरी सलाह लेना बेहतर है।

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किरण भास्कर

कुदरत ने मातृत्व को एक खास स्थिति तो बनाया है,लेकिन जरूरी नहीं कि गर्भवती महिलाएं हर समय आराम ही करें। रोजमर्रा की गतिविधियां भी न कर पायें। दरअसल, यह कुदरत के अनुरूप भी है। दुनिया का कोई भी जानवर इस दौरान विशेष आराम नहीं करता। इसलिए महिलाओं को भी गर्भावस्था के दौरान कम से कम अपनी रोजमर्रा की गतिविधियां सामान्य तौर पर सम्पन्न करते रहना चाहिए, क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान भी फिट रहना जरूरी होता है। अगर फिट नहीं रहेंगी तो कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। यहां तक कि गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर भी असर पड़ सकता है।
सामान्य रूप से प्रसव सम्पन्न हो इसके लिए गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित तरीके से नियमित एक्सरसाइज जरूरी है। इसके साथ ही हेल्दी डाइट लेना सुनिश्चित करें। इस दौरान जितना संभव हो खुश रहें, आरामदायक कपड़े पहनें, पेट पर गैर-जरूरी दबाव न पड़े इसके लिए सजग रहें और संभव हो तो स्विमिंग करें। अगर स्विमिंग संभव नहीं तो हल्के कदमों से सुबह-शाम वॉक जरूर करें।
कितनी देर व्यायाम करें
यह बहुत उलझन भरा सवाल है, क्योंकि कई महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान यह नहीं तय कर पातीं कि आखिरकार वे व्यायाम कितनी देर तक करें। क्योंकि जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज भी नुकसानदायक है। ऐसे में चाहिए कि अपने डॉक्टर से बात करें या जिसकी देखरेख में आप अपना प्रेग्नेंसी पीरियड गुजार रही हों, उनसे इस संबंध में बात करें। जानकारों की मानें तो वे अलग-अलग स्टेज में गर्भवती स्त्रियों को अलग-अलग समय तक एक्सरसाइज करने के लिए कहते हैं। छह महीने के बाद 15 मिनट पैदल चलने की एक्सरसाइज पर्याप्त है और यह वॉकिंग नियमित तौर पर करें, तो इसके ज्यादा फायदे हैं। छह महीने से पहले आमतौर पर डॉक्टर हर दिन 30 मिनट तक व्यायाम गर्भवती महिलाओं को सुझाते हैं। लेकिन फिर से जान लें कि यह हरेक के लिए अलग-अलग हो सकता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान बिना अपने डॉक्टर की सलाह के एक्सरसाइज कतई न करें।
खुराक पर ध्यान
फिट रहने के लिए जरूरी है कि प्रेग्नेंसी के दौरान सुबह ऐसे फल, अंकुरित बीज और सब्जियां खाएं, जिनमें भरपूर मात्रा में आयरन, कैल्शियम और फाइबर मौजूद हो। आयरन गर्भवती महिलाओं को एनीमिया से बचाता है। कैल्शियम उनकी हड्डियों को कमजोर होने से बचाता है और फाइबर पेट साफ रखने में मददगार होता है। खट्टे फल यूं तो सेहत के लिए अच्छे होते हैं लेकिन गर्भवती होने के दौरान खट्टे फलों की अनदेखी करें तो बेहतर होगा। अगर खाना ही है तो दोपहर के समय खाएं। आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान 12 से 16 किलो तक महिला का वजन बढ़ जाता है। इसलिए भी स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की जरूरत है, अगर आपको लग रहा हो कि तमाम अनुशासन के बाद भी आपका वजन बढ़ रहा है तो डॉक्टर और डाइटीशियन दोनों से इस बारे में राय लें। वे आपको जरूरी रास्ता सुझाएंगे।
फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह
प्रसव काल आरामदायक रहे और प्रसव उससे भी ज्यादा आरामदायक बने, इसके लिए जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान भरपूर सजग रहें। अगर व्यायाम करना संभव न हो तो इस दौरान फिजियोथैरेपी एक अच्छा माध्यम है। व्यायाम में कमर की स्ट्रैचिंग जैसी एक्सरसाइज नियमित तौरपर करनी चाहिए। इसमें पैरों को एक साथ मिलाकर कमर को आगे की तरफ लाते हुए आसन पर बैठ जाएं और घुटनों को धीरे-धीरे जमीन से छुआने की कोशिश करें। लेकिन इस दौरान अपने शरीर के प्रति बहुत संवेदनशील रहें। अगर जरा भी शरीर साथ न दे तो कतई एक्सरसाइज न करें। फिर दूसरे उपाय बेहतर होंगे।
कुछ और जरूरी बातें
प्रेग्नेंसी के दौरान व्यायाम को कठोर टाइम टेबल का हिस्सा न बनाएं। यह शरीर की असामान्य स्थिति होती है, इसलिए इस दौरान कई तरह के नियम तोड़ने जरूरी हो जाते हैं। गर्भावस्था के दौरान बेहतर यह है कि जब आपका शरीर सबसे अच्छी तरह से रिस्पांस कर रहा हो, उस समय ही एक्सरसाइज करें, भले वह समय कोई सा भी हो। कभी भी व्यायाम शुरू करने के बाद अगले ही दिन समय न बढ़ा दें। ...और हां चिकने फर्श पर व्यायाम करने से हर हाल में बचें।
-इ.रि.सें.

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