आप हैं परवरिश की अहम कड़ी
दीप्ति अंगरीश
अभिभावक दिन-रात कोशिश में लगे रहते हैं कि उनके बच्चे सबके साथ अच्छा व्यवहार करें। लेकिन यह तभी संभव है यदि आप इसके लिए खुद का लाइफस्टाइल व बर्ताव सुधारें। बच्चे आपको ही फॉलों करेंगे। बच्चों को मारने- पीटने, महंगे गैजेट्स या आलीशान लाइफस्टाइल से बात नहीं बन सकती। आपके पास बहुत सारे पैसे हों या नहीं, दोनों ही स्थिति में आप खुद सुधर जाएं। फिर देखिए, आपके बदले-बदले व्यवहार से कैसे बच्चे आपकी राह पकड़ेंगे। बच्चों की परवरिश का आपका नया तरीका पूरे घर का माहौल बदल देगा। इसके लिए जरूरत है बेहतर बदलाव के लिए आपकी समझदारी और इच्छाशक्ति की।
आचरण से बनें रोल मॉडल
जान लें कि बच्चा आपसे बहुत कुछ सीखता है। ऐसे में अपना आचरण अनुकरण के काबिल बनाना होगा। यदि कोई माता खुद दूसरों की निंदा-चुगली करती हैं। मिथ्या बोलती हैं अपनों से और आस-पास वालों से भी, बेवजह लड़ती- झगड़ती हैं। माना ऐसा करके उसे कुछ समय के लिए जीत का अहसास होता है। लेकिन यह जीत क्षणिक है। उसकी इन हरकतों को बारीकी से बच्चा देख-सुन रहा है तो जाहिर है इन्हें अपने आचरण में शामिल करेगा। फिर आप उसकी कितना भी महंगी वाली परवरिश कर लें, सुधार संभव नहीं। जान लें कि बच्चा आपको रोल मॉडल समझता है। जो आप करेंगे, वह ही धीरे-धीरे वह अपनाएगा।
संवाद का लहजा भी संवारें
बच्चे के व्यक्तित्व में बेहतर गुणों के विकास के लिए आपको खुद में बदलाव लाना ही होगा। आपको एक-एक शब्द पूरी तरह से विचार करके बोलना होगा। संवाद नपा-तुला हो। तेज-तेज आवाज या वाणी में गाली-गलौज शामिल न हो। बोलने का लहजा विनम्रता व प्यार भरा हो, लड़ने वाला नहीं। इसे आप जिंदगी में शामिल कर लेंगे, तो आपका तो भला होगा ही, साथ ही बच्चे की परिवरिश का अहम बिंदु सुधर जाएगा।
गुस्से में भी रिएक्शन अच्छा
बहुत बार आपको गुस्सा आता है, तो आप सामने वाले को अपशब्द कह देते हैं या कुछ भला-बुरा कह देते हैं जिसकी आवाज बच्चे के कानों तक पहुंच जाती है। फिर आप अच्छा बोलिए बच्चा वो भी सुन लेगा। अब कैसा बोलना या क्या बोलना, इसका फैसला आपको करना है। याद रखिए बच्चा खिलौनों से नहीं आपसे ही बहुत कुछ सीखता है।
जीवनशैली व खानपान
आप देर से उठती हैं, देर से सोती हैं, खाने-पीने का कोई समय नहीं है। जब मन किया वक्त-बेवक्त पिज्जा, मैगी, मोमोज आदि खाती हैं। पानी पीने और फल खाने की आदत है ही नहीं। दिनभर चाय-कॉफी पीती रहती हैं। जब मन किया पकौड़े, चिप्स आदि खाती हैं। जब आपकी आदतें इतनी बुरी हैं, तो बच्चा क्या होगा। ऐसे में बच्चा कैसे सीखेगा सही खानपान और समय की अहमियत। कैसे रहेगा स्वस्थ?
मैनर्स की सीख
बच्चे को हर समय डांटिए नहीं। बच्चे को न कहें कि आप यह नहीं करते, वो नहीं करते। आपको यह जानना होगा कि एक तरह से आपका प्रतिबिंब है, सीखेगा तो आपसे ही। खुद को साफ-सुथरा रखें, घर में हर सामान सही जगह पर रखें और बिखरी चीजों को लगातार सहेजें, वो यह सीख लेगा। यदि आप बिखरी चीजें सहेजने की आदत न बनाएंगे तो जगह-जगह चीजें पड़ी होंगी। वो अपना सामान, बिस्तर आदि कभी नहीं उठाएगा। बस, आप करिए। वो आपसे सीख जाएगा बहुत कुछ। इसी तरह हर वक्त मोबाइल में आंखें गड़ाना सही नहीं। खासकर जब किसी से बात करें, तो मोबाइल या अन्य गैजेट का प्रयोग नहीं करें। ऐसा करने आपकी बात या सामने वाले की पूरी बात सुनी नहीं जाती। आप ऐसा करें तो बच्चा फिर अपनाएगा ही।
सही हो आपकी बॉडी लैंग्वेज
आप जानते हैं कि बच्चा आपको कॉपी यानी अनुकरण करता है, तो ऐसे में आपकी बॉडी लैंग्वेज गलत नहीं होनी चाहिये। पैरेंटिंग के पहले शिक्षक आप खुद होते हैं, खिलौने, महंगे गैजेट्स आदि नहीं। आप तमीज से अपनों के सामने बैठते नहीं, तो कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि बच्चा आपको फॉलो नहीं करेगा। यदि उसे टोका नहीं गया तो वह गलत ढंग की बॉडी लैंग्वेज को धारण कर लेगा। तो संभलना आपको है। सही बॉडी लैंग्वेज क्या होती है या कैसी होनी चाहिए, इसके बारे में अच्छी किताबों व फिर सर्च इंजन में पढ़ें और अपनाएं।
मनी मैनेजमेंट सिखाएं
आपको खुद मनी मैनेजमेंट सीखनी होगी। छोटे भुगतान करें। पैसा बचाएं। बैंक में जाएं, पैसा निकालें या जमा करें। बच्चा यह सब देखते हुए मनी मैनेजमेंट का हर गुर सीख जाएगा। आप छोटे-छोटे भुगतान बच्चे से करवाएं। इससे बच्चा हिसाब-किताब में पक्का हो जाएगा। ऐसा करने से बच्चा रुपयों को गिनना, भुगतान करना और वापसी की राशि का हिसाब सीख जाएगा।