आर्य समाज में पर्यावरण शुद्ध एवं समृद्धि के लिए यज्ञ हवन आयोजित
नरवाना, 18 फरवरी (निस)
आर्य समाज नरवाना में पर्यावरण शुद्ध एवं समृद्धि के लिए यज्ञ हवन किया गया। साप्ताहिक सत्संग में आर्य धर्मपाल एवं यशपाल ने भजन और गीतों के माध्यम से ईश्वर की स्तुति की। आर्य समाज प्रधान चंद्रकांत आर्य ने कहा कि भारतवर्ष आदि काल से ही ज्ञान और विज्ञान का प्रकाश पुंज एवं स्त्रोत रहा है। इसी धरा पर ऋषि मुनियों द्वारा वेद की ऋचाओं का अध्ययन किया गया। इसका मूल वैदिक सिद्धांतों से वैदिक संस्कृति एवं सामाजिक जीवन मूल्य और परंपराओं को वैज्ञानिक आधार प्रदान किया गया। पराधीन मध्यकाल में समाज में फैली अज्ञानता, कुरीतियां, पाखंड, अंधकार और अविद्या को दूर करने के लिए महर्षि दयानंद सरस्वती ने वैदिक विधान के अनुसार आर्य समाज का गठन किया था। आर्य समाज ने राष्ट्र की स्वाधीनता आंदोलन के साथ समाज सुधार आंदोलन भी समानान्तर चलाया। नारी शिक्षा ऊंच -नीच, जाति प्रथा, छुआछूत दलित एवं सामाजिक भेदभाव का निराकरण किया। मिथिलेश शास्त्री ने अपने व्याख्यान में कहा कि व्यक्तिगत एवं सामाजिक उन्नति के लिए अष्टांग योग में सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, शौच, तप, संयम, स्वाध्याय, ईश्वर प्रणिधान इत्यादि यम और नियमों के व्यावहारिक वैधानिक प्रयोग मनुष्य और समाज उन्नति के आधार स्तंभ है। इस अवसर पर आर्य वेदपाल, बलजीत, राजवीर,संजीव एवं अन्य आर्यगण उपस्थित रहे।