जुनून के जज्बे से लिखें कामयाबी की इबारत
शिखर चंद जैन
अगर आप अपनी नौकरी, व्यापार या पेशे के लिए बोझिल मन से जाते हैं, ऐसा सोचते हैं कि वर्कप्लेस पर जाने का टाइम हो गया, इसलिए अब जाना ही पड़ेगा - तो समझ लीजिए कि आप जॉब या प्रोफेशन में दिन ही बिता सकते हैं, सफल होने के लक्षण तो ये नहीं ही हैं। अगर आपको सफलता चाहिए, तो अपने जॉब से प्यार करना सीखना होगा और वर्कप्लेस पर खुशियां ढ़ूंढ़नी होंगी ताकि आप रोज प्रसन्न मन से अपने वर्कप्लेस पर जाएं और वहां पूरी ऊर्जा और तन-मन के साथ काम करें। इसके लिए आपको अपनाने होंगे छोटे-छोटे उपाय।
मल्टी डायमेंशनल पहचान
पहचानें कि आप कौन हैं, आप खुद को किस रूप में देखते हैं। अगर आपकी सेल्फ इमेज और पहचान सिर्फ नौकरी या प्रोफेशन से ही जुड़ी हुई है, तो आपको समस्या हो सकती है। अगर खुद को सिर्फ अकाउंटेंट, सेल्स पर्सन, वकील या सीईओ के रूप में पेश करते हैं तो यकीन मानिए कि आप खुद को प्रोफेशनल दायरे से बाहर नहीं निकाल पाए हैं। अपनी ऐसी पहचान चुनें, जो सेल्फ-इमेज को मल्टी डायमेंशनल बना सके। अगर आप एक अच्छे लेखक, संगीतकार, गायक या शेफ हैं तो वर्क प्लेस पर लोगों को इस बात की जानकारी दें। ताकि वे आपको एक सम्मानित व्यक्ति के तौर पर पहचानें। इससे ऑफिस में आपके प्रति पॉजिटिव वातावरण बनेगा। आपको भी अच्छा महसूस होगा।
निगेटिव बातों की अनदेखी
कई बार वर्कप्लेस पर ऐसे लोगों से पाला पड़ जाता है जो हर वक्त अपनी मुसीबतों का रोना रोते रहते हैं। उनकी बातें सुन-सुन कर मन वाकई कमजोर पड़ सकता है। लेकिन दूसरों की बातें सुनकर परेशान न हों। उनकी नेगेटिव बातचीत को इग्नोर करें। यह आसान नहीं फिर भी आपको इसका अमल करना होगा। जीवन में कई बार ऐसा होता है, जब आप अपने सपनों को सिर्फ इसलिए पूरा नहीं कर पाते, क्योंकि आप दूसरों के बारे में विचार करने लग जाते हैं। अगर आप कुछ पसंद करते हैं, तो सीधे तौर पर उस काम को करने की कोशिश करें।
जिम्मेदारियों की प्लानिंग
वर्कप्लेस पर आपको जिन कार्यों की जिम्मेदारी दी गई है या जिन स्थितियों को आप कंट्रोल करते हैं, उनकी लिस्ट बनाएं। यह आपकी टीम का आउटपुट, आपका सेल्स रूट, दिन के कार्यों का क्रम, सप्लाइज की खरीद, लोगों से मिलना, डेस्क को सहेजना कुछ भी हो सकता है। इन कार्यों को सही तरह से पूरा करने की प्लानिंग करें। इन्हें इस तरह से पूरा करें कि पूरी संतुष्टि हो। अपनी सोच और योजना को इस तरह से रखें कि आप जो भी प्रयास करें, उससे खुशी मिले।
कार्यों की शेड्यूलिंग
दिमाग की निर्णय लेने की क्षमता सीमित है। इसीलिए पूरे दिन काम करते करते दिमाग थक जाता है। आपको ऑटोमेटिक रूटीन तैयार करना चाहिए। आपको रोज लेने वाले निर्णयों की संख्या में कमी लानी चाहिए और कार्यों की शेड्यूलिंग भी करनी चाहिए। रोज साधारण लक्ष्य बनाएं जैसे- दिन में कितनी कॉल करनी हैं, ईमेल के लिए कितना समय देना है, प्रेजेंटेशन पूरा करने में कितना समय लगाना है आदि।
सबसे पहले पसंदीदा काम
सुबह की शुरूआत पंद्रह मिनट पहले करें। इस समय का इस्तेमाल उन कामों के लिए करें, जो आपको ऊर्जावान बनाते हों। सुबह की शुरूआत सही होगी, तो पूरा दिन अच्छी तरह से गुजरेगा।
कुछ काम लंच से पहले
कई काम आपको पसंद तो नहीं होते लेकिन उन्हें करना आपकी जिम्मेदारी होती है। जैसे किसी चिड़चिड़े ग्राहक से बात करना, किसी घिसी-पिटी, असफल फाइल पर पत्राचार करना आदि। इन कामों को लंच से पहले कर डालें। ताकि लंच करने के बाद आप फ्रेश मूड से काम कर सकें।
किसी के लिए अच्छा करें
दिन का ऐसा समय चुनें, जब आप सबसे ज्यादा थके हुए या नाखुश हों। इस समय में ऑफिस में किसी सहकर्मी की बिना अपेक्षा के मदद करें। इसका पॉजिटिव असर होगा और आप कनेक्टेड महसूस करेंगे।
खुद को दें शाबासी
एक नोटपैड पर रोज के कार्यों को लिखें। छोटी-छोटी उपलब्धियों को सेलिब्रेट करें। जब भी आप कोई काम पूरा करें तो खुद को कोई न कोई रिवार्ड दें। अगर आप खुद की पीठ थपथपाते हैं तो आपका मूड बहुत तेजी से बदलता है।
कृतज्ञता जताना
आपको जो काम करने का मौका मिला है, उसके लिए धन्यवाद कहें। किसी भी काम को इस तरह से पूरा करें कि वह आपको अपने मकसद के थोड़ा और करीब ले जाए। खुद को मिली आजादी और मौकों के लिए कृतज्ञ रहें।
-कैरियर काउंसलर गौतम दुगड़, कंपनी सेक्रेटरी से बातचीत पर आधारित