World Health Day शरीर बाहर से नहीं, भीतर से मजबूत होना चाहिए
चडीगढ़ , 7 अप्रैल
आप खुद को फिट समझते हैं, लेकिन क्या आपकी बॉडी भीतर से भी उतनी ही स्वस्थ है? वर्ल्ड हेल्थ डे के मौके पर फोर्टिस अस्पताल लुधियाना ने इस अहम सवाल को उठाया और मेटाबॉलिक हेल्थ पर फोकस करते हुए लोगों को आगाह किया कि आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम शरीर के अंदर चल रहे खतरों को अक्सर नजरअंदाज कर रहे हैं।
फोर्टिस के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ अरोड़ा ने कहा कि मेटाबॉलिक हेल्थ शरीर की वह प्रणाली है जो भोजन से ऊर्जा बनाने, ब्लड शुगर को संतुलित रखने और फैट को प्रोसेस करने के लिए जिम्मेदार होती है। जब यह प्रणाली कमजोर होती है तो डायबिटीज, हृदय रोग, मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर जैसे खतरे सिर उठाने लगते हैं।
हर चौथा भारतीय खतरे में
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में हर चार में से एक व्यक्ति मेटाबॉलिक डिसऑर्डर से प्रभावित है। लेकिन दिक्कत यह है कि अधिकांश लोगों को इसका अहसास भी नहीं होता।
“थकान, बार-बार भूख लगना, नींद की दिक्कतें, और तेजी से वजन बढ़ना—ये सब शुरुआती संकेत हो सकते हैं, जिन्हें लोग मामूली मान लेते हैं,” डॉ. अरोड़ा ने कहा।
हल्की-फुल्की आदतें, बड़ा असर
डॉ. अरोड़ा ने जोर देकर कहा कि यह स्थिति रोकी जा सकती है। “संतुलित आहार, रोज़ाना टहलना, योग, और तनाव कम करने वाली आदतें हमारी मेटाबॉलिक हेल्थ को काफी हद तक बेहतर बना सकती हैं। खास बात यह है कि भारतीय परंपरागत आहार और दिनचर्या पहले से ही इन जरूरतों के अनुरूप बनी हुई है।”
एकजुट होकर उठाना होगा कदम
फोर्टिस अस्पताल की ओर से सभी नागरिकों से अपील की गई कि वे खुद को समय दें, अपनी सेहत को प्राथमिकता दें और नियमित जांच कराएं।
“मेटाबॉलिक हेल्थ को बेहतर बनाना न केवल व्यक्तिगत जिम्मेदारी है, बल्कि एक सामाजिक प्रयास भी है। जितनी जल्दी इसे समझेंगे, उतना ही स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित होगा,” डॉ. अरोड़ा ने कहा।
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