वन अधिकार अधिनियम को लेकर जिला, उपमंडल स्तर पर आयोजित होंगी कार्यशालाएं
धर्मशाला, 2 अप्रैल (निस)
हिमाचल प्रदेश के राजस्व मंत्री जगत नेगी ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए जिला और उपमंडल स्तर पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी ताकि पात्र लोगों को जीवन निर्वाह की भूमि पर मालिकाना हक दिलाया जा सके। बुधवार को स्कूल शिक्षा एजुकेशन बोर्ड परिसर में वन अधिकार अधिनियम को लेकर आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्यातिथि राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि सभी पंचायतों में वन अधिकार समितियां गठित करना अनिवार्य है तथा उपमंडल स्तर पर इन समितियों को अधिनियम के बारे में अवगत करवाने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया भी बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।
निर्धारित फार्म पर करना होगा आवेदन
जगत सिंह नेगी ने कहा कि वन भूमि पर निर्वाह करने वाले लोगों को निर्धारित फार्म पर आवेदन करना होगा। इसके लिए ग्राम सभा का अनुमोदन और दो लोगों की गवाही जरूरी होगी। इसके अलावा कोई खर्च नहीं होगा। दावेदार का कब्जा इस भूमि पर 13 दिसंबर, 2005 से पहले तीन पुश्तों तक होना चाहिए। अधिनियम में दावा करने वालों को फार्म भरना होगा। पत्नी का नाम भी जरूरी होगा। पत्नी बराबर की हिस्सेदार होगी। अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग से हैं तो प्रमाणपत्र लगाना होगा, सामान्य वर्ग से हैं तो गांव के निवासी होने का पहचान पत्र, वोटर कार्ड या आधार कार्ड लगाना होगा। साक्ष्य के लिए दो बुजुर्गों के बयान लगेंगे जो पुष्टि करेंगे कि दावेदार का कब्जा इस भूमि पर 13 दिसंबर, 2005 से पहले तीन पुश्तों तक का है। जिस भूमि पर दावा जता रहे हैं उसकी लंबाई और चौड़ाई की जानकारी खुद नक्शा नजरी बनवा कर दे सकते हैं, अन्यथा भूमि का राजस्व रिकॉर्ड पेश करना होगा।
आवेदन पत्र को वन अधिकार समिति के माध्यम से ग्राम सभा को भेजने का प्रावधान
प्रार्थना पत्र को पंचायत की ग्राम सभा से वन अधिकार समिति (एफआरटी) के माध्यम से अनुमोदित किया जाएगा। समिति में अधिकतम 15 लोग हो सकते हैं। एक तिहाई महिलाएं होनी चाहिए। यह कमेटी मौके पर जाकर दावों को लेकर रिपोर्ट बनाएगी। कमेटी लिखित सूचना पटवारी और गार्ड को देगी और इन्हें अनिवार्य तौर पर कमेटी के साथ मौके पर जाना होगा। हर प्रार्थना पत्र का सत्यापन करने के बाद कमेटी पंचायत सचिव के माध्यम से विशेष ग्रामसभा को भेजेगी। ग्राम सभा में 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यस्क वोट कर सकेंगे, सामान्य ग्राम सभा में 18 साल से अधिक आयु का सिर्फ एक व्यक्ति ही वोटर होता है लेकिन विशेष ग्राम सभा में परिवार के सभी व्यस्क वोट दे सकेंगे। ग्राम सभा में 50 फीसदी लोग यदि प्रार्थी के दावे का अनुमोदन करते हैं तो मालिकाना हक मिलना निश्चित हो जाएगा। ग्राम सभा सभी अनुमोदित मामले सत्यापन के लिए उपमंडल स्तरीय समिति को भेजेगी। उपमंडल स्तरीय समिति सभी मामलों के सत्यापन के बाद जिला स्तरीय समिति को भेजेगी। उपायुक्त की अध्यक्षता वाली समिति दावों का निपटारा और दस्तावेजीकरण कर स्वीकृति देगी जिसके बाद दावेदार को भूमि का पट्टा देकर मालिकाना हक दिया जाएगा।