फैक्टरी के अंदर-बाहर बरस रही आग में काम करने को मजबूर मजदूर
अरविंद शर्मा/निस
जगाधरी, 15 जून
एक तरफ प्रचंड गर्मी और लू में आम आदमी की हालत खराब है तो दूसरी ओर धातु नगरी के नाम से पहचान रखने वाले जगाधरी शहर की मेटल इंडस्ट्री में हजारों ऐसे मजदूर हैं जो इस गर्मी में भट्टियों में काम करने को मजबूर हैं। आसमान से बरस रही आग का इन यूनिटों में काम करने वाले श्रमिकों पर पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी पीतल, एल्युमिनियम, स्टीक, ब्रास को बर्तन बनाने के लिए तेज आग में गलाने वाले मजदूरों हो रही है। परिवार का पेट पालने के लिए इन्हें बहुत ज्यादा तापमान में काम करना पड़ रहा है। जबकि फैक्टरी संचालक यहां का तापमान कम रखने के लिए सारे प्रयास करने की बात कह रहे हैं।
गौरतलब है कि पहले मेटल फैक्टिरयों में कोयले व तेल से जलने वाली भट्टियां होती थी। इन पर पीतल, एल्युमिनियम, स्टीक, ब्रास को बर्तन बनाने के लिए तेज आग में गलाने व मोल्ड करने का काम होता है। अब इनका स्थान आधुनिक तकनीकी से तैयार इलैक्ट्रिक भट्टियों ने ले लिया है। इन भट्टियों की हीट भी बहुत ज्यादा होती है। फैक्टरी में काम करने वाले कुछ मजदूरों ने बताया कि इन भट्टियों वाले शैड व हाल में बाहर के मुकाबले तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा होता है। आजकल यह 57 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा होता है। श्रमिकों का कहना है कि बाल-बच्चों का पेट पालने के लिए काम करना जरूरी है,लेकिन इन हालात में काम करना बहुत मुश्किल होता है। यहां पर काम करके हालत बहुत बुरी हो जाती है। घर जाकर भी इस गर्मी का शरीर पर असर रहता है।
‘तापमान कम करने का करते हैं प्रयास’
मैटल उद्योग से जुड़े नवीन कुमार, मनोज कुमार का कहना है कि भट्टी वाली जगह का तापमान बहुत ज्यादा न हो, इसे लेकर जरूरी कदम उठाये जाते हैं। इसमें एग्जास्ट फैन, कूलर, पंखे व पानी का इंतजाम किया जाता है। यहां काम करने वाले श्रमिकों की सेहत ठीक रहे, इसका विशेष ध्यान रखा जाता है।