Work From Home पारिवारिक जीवन बाधित न हो पेशेवर जिम्मेदारियों से
घर से ही ऑफिस का कार्य करना समय की बचत व सुविधा देता है। लेकिन पारिवारिक जीवन पर इसके सकारात्मक व नकारात्मक असर होते हैं। सामाजिक मेलजोल कम हो जाता है। वहीं कामकाजी महिलाएं घरेलू दायित्व बेहतर निभा सकती हैं हालांकि यह तनाव की वजह भी बनता है। इसी तरह बच्चों की शिक्षा व ग्रोथ पर दोनों तरह का प्रभाव हो सकता है। बेहतर है, कंपनियां इस मॉडल को अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में पहल करें।
डॉ. मोनिका राज
वर्क फ्रॉम होम का चलन आजकल, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के बाद से, बढ़ गया है। यह काम करने का तरीका न केवल कर्मचारियों को समय और स्थान की स्वतंत्रता प्रदान करता है, बल्कि यह परिवारों के जीवन पर भी गहरा प्रभाव डालता है। विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के जीवन पर इसका प्रभाव काफी महत्वपूर्ण और विशिष्ट है।
महिलाओं के घर और काम का संतुलन
महिलाओं के लिए वर्क फ्रॉम होम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि उन्हें घर और काम के बीच संतुलन बनाने में आसानी होती है। पहले, महिलाओं को घर के काम और पेशेवर जिम्मेदारियों के बीच तनावपूर्ण संतुलन बनाना पड़ता था, लेकिन अब वे अपने काम को घर से करते हुए अधिक लचीलापन महसूस करती हैं। समय और ऊर्जा बचती है और वे बच्चों के साथ अधिक समय बिता सकती हैं।
काम की गति और समय
वर्क फ्रॉम होम की स्थिति में महिलाओं को अपनी दिनचर्या अपने मुताबिक तय करने का अवसर मिलता है। अपनी कार्य गति को अपनी जरूरतों के अनुसार बदल सकती हैं और घर के कामों को भी मैनेज कर सकती हैं।
मानसिक दबाव और तनाव
वर्क फ्रॉम होम महिलाओं के लिए कई सुविधाएं लाता है लेकिन यह मानसिक दबाव भी पैदा कर सकता है। महिलाओं को घर और ऑफिस दोनों के कामों को एक साथ निभाने का दबाव महसूस होता है। बच्चों की देखभाल, घर का काम, और पेशेवर जिम्मेदारियां एक साथ निभाने से तनाव बढ़ सकता है।
कैरियर की ग्रोथ पर प्रभाव
कई महिलाओं के लिए वर्क फ्रॉम होम का अनुभव उनका कैरियर को स्थिर करने में सहायक हो सकता है, लेकिन कुछ महिलाओं के लिए यह उनके कैरियर की प्रगति को रोक सकता है। घर से काम करते हुए वे नेटवर्किंग और टीम में सहभागिता जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों से दूर हो जाती हैं।
बच्चों पर प्रभाव
वर्क फ्रॉम होम के दौरान बच्चों को अपने माता-पिता के साथ अधिक समय बिताने का अवसर मिलता है। यह बच्चों के मानसिक विकास में सहायक हो सकता है, क्योंकि वे अपने माता-पिता से अधिक बातचीत और मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। बच्चे शिक्षा, खेल और भावनात्मक समर्थन के लिए अधिक उपलब्ध होते हैं।वहीं इसका नकारात्मक पक्ष भी है। हालांकि पैरेंट्स घर पर रहें तो बच्चों को अपने माता-पिता के साथ समय बिताने का मौका मिलता है, लेकिन वर्क फ्रॉम होम के दौरान बच्चे यह महसूस कर सकते हैं कि उनके माता-पिता का ध्यान पूरी तरह से उनके साथ नहीं है। बच्चों को लग सकता है कि वे अनदेखे हैं। इससे उनके मानसिक विकास में रुकावट आ सकती है।
नौनिहालों की शिक्षा पर प्रभाव
माता-पिता के घर पर रहने से बच्चों को शिक्षा के संबंध में बेहतर मार्गदर्शन मिल सकता है, लेकिन अगर माता-पिता का ध्यान पूरी तरह से बच्चों की शिक्षा पर नहीं रहता, तो वे ऑनलाइन कक्षाओं में कम ध्यान पाते हैं। इसके अलावा, बच्चों को घर पर हर समय रहने की आदत पड़ सकती है। वर्क फ्रॉम होम के दौरान बच्चों में अकेलापन और अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, विशेषकर यदि वे लंबे समय तक घर में ही रहते हैं। इसके परिणामस्वरूप, बच्चों में सामाजिकता की कमी हो सकती है, क्योंकि वे स्कूल, खेल और अन्य बाहरी गतिविधियों से दूर हो जाते हैं।
घर से काम के सकारात्मक पहलू
लचीलापन और स्वतंत्रता
वर्क फ्रॉम होम कर्मचारियों को अधिक लचीलापन और कार्य स्वतंत्रता प्रदान करता है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि कर्मचारी अपनी समय-सीमा और काम को अपनी सुविधा अनुसार मैनेज कर सकते हैं। खासकर महिलाओं के लिए यह एक बड़ी सुविधा है क्योंकि वे घर के काम और बच्चों के देखभाल को आसानी से मैनेज कर सकती हैं।
समय की बचत
घर से काम करने के कारण कर्मचारियों को यात्रा करने का समय नहीं लगता है, जिससे वे अतिरिक्त समय बचा सकते हैं और इसे परिवार के साथ या अपनी व्यक्तिगत जरूरतों के लिए उपयोग कर सकते हैं। इससे मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
परिवार की मदद
वर्क फ्रॉम होम में परिवार के सदस्य एक-दूसरे के अधिक करीब होते हैं। यह पारिवारिक समर्थन बच्चों और महिलाओं दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है। परिवार के लोग एक-दूसरे के साथ समय बिता सकते हैं, जिससे रिश्तों में भी सुधार हो सकता है।
कुछ नुकसान भी
समय सीमा का अभाव : घर से काम करने का मुख्य नकारात्मक पहलू यह है कि काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच की सीमा अक्सर धुंधली हो जाती है। महिलाएं और बच्चे अपने निजी समय में भी काम के दबाव को महसूस कर सकते हैं, जिससे वे मानसिक रूप से थका हुआ महसूस कर सकते हैं। सोशल इंटरएक्शन की कमी :घर से काम करने से कर्मचारियों को सामाजिक संपर्क की कमी हो सकती है। विशेष रूप से, महिलाएं और बच्चे इस स्थिति में अधिक प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि वे बाहरी दुनिया से कट जाते हैं।
वर्क फ्रॉम होम की संस्कृति महिलाओं और बच्चों के जीवन पर मिश्रित प्रभाव डालती है। जहां एक ओर यह संतुलन और लचीलापन प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर इससे मानसिक दबाव और सामाजिक संपर्क की कमी हो सकती है। इस मॉडल को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए, कंपनियों को कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए और बच्चों के लिए शिक्षा और गतिविधियों को बढ़ावा देने के उपायों पर ध्यान देना चाहिए। महिलाओं को पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बनाने के लिए सशक्त बनाने की आवश्यकता है।