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दुर्भावना के बोल

09:01 AM Jan 09, 2024 IST
दुर्भावना के बोल
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यूं तो मालदीव में मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत व इस छोटे द्वीपीय देश मालदीव के संबंध पटरी से उतरते नजर आ रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री के लक्षद्वीप दौरे के बाद उसके कुछ मंत्रियों के आपत्तिजनक बयानों ने आग में घी का काम किया। हालांकि भारत में जनमानस की तल्ख प्रतिक्रिया और भारत सरकार के कड़े रवैये के बाद मुइज्जू सरकार बैकफुट पर नजर आई है। लीपापोती की कवायद में जुटी मालदीव सरकार ने मंत्रियों के बयान से खुद को अलग करते हुए तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया है। लेकिन दशकों पुराने सौहार्द के संबंधों में वो गांठ पड़ गई है, जिसे जल्दी सुलझाना कठिन है। यह घटनाक्रम वैश्विक स्तर पर भी अभूतपूर्व है। ऐसा पहले नहीं सुना गया कि एक देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ दिये गए आपत्तिजनक बयान के बाद किसी देश ने अपने तीन मंत्रियों को निलंबित किया हो। इस घटनाक्रम का एक सकारात्मक पक्ष यह भी है कि राष्ट्रीय अस्मिता व गौरव के पक्ष में देश के आम लोग उठ खड़े हुए। प्रधानमंत्री पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद चार हजार भारतीयों ने मालदीव के होटलों की बुकिंग रद्द कराई और तीन हजार हवाई टिकटें कैंसिल की गई। निश्चित रूप से पर्यटन अर्थव्यवस्था वाले छोटे द्वीपीय देश मालदीव के लिये एक बड़ा झटका है। उल्लेखनीय है कि हर साल औसतन करीब दो लाख लोग घूमने मालदीव जाते हैं। जो मालदीव की आय का बड़ा जरिया है। बहरहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया लक्षद्वीप यात्रा के बाद मालदीव सरकार की मंत्री मरियम शिउना और दूसरे नेताओं की आपत्तिजनक टिप्पणियों के बाद भारत में लोगों का पारा चढ़ा हुआ है और सोशल मीडिया पर बायकॉट मालदीव की मुहिम चल रही है। यहां तक कि बड़े बॉलीवुड सितारे व नामचीन क्रिकेटर भी इस मुहिम में प्रतिक्रिया देते नजर आए। साथ ही भारत में खूबसूरत लोकेशन वाले द्वीपों की वकालत की जा रही है।
दरअसल, मुस्लिम बहुल मालदीव के नये राष्ट्रपति मुइज़्जू राष्ट्रपति बनने के बाद लगातार भारत के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं। उन्होंने अपने चुनाव अभियान में ‘इंडिया आउट’ की मुहिम चलाई और वहां मदद के लिये तैनात भारतीय सैनिकों को वापस भेजने के लिये अभियान चलाया। कुछ समझौते रद्द किये। राष्ट्रपति बनने के बाद वे सबसे पहले इस्लामिक देशों के ध्रुवीकरण में जुटे तुर्किये की यात्रा पर गये। उन्हें भारत विरोधी व चीन समर्थक माना जाता है। फिलहाल वे चीन की यात्रा पर हैं। ऐसे में खराब होते दोनों देशों के संबंधों को इन बयानों ने गंभीर स्थिति में पहुंचा दिया। हालांकि, इस घटनाक्रम के बाद मालदीव में राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है और विपक्षी नेता मालदीव सरकार से भारत के लोगों से माफी मांगने की बात कर रहे हैं। विपक्षी नेता मंत्रियों की टिप्पणियों को शर्मनाक व नस्लभेदी बता रहे हैं। वे कह रहे हैं कि ये मालदीव के लोगों की राय नहीं है। वे यहां तक कह रहे हैं कि हम जानते हैं कि किस सीमा तक भारत पर निर्भर रहे हैं और हर संकट में भारत ने मालदीव की मदद की है। दरअसल, विपक्षी नेता मौजूदा मालदीव सरकार को आईना दिखा रहे हैं कि मालदीव आर्थिक, स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यापार, पर्यटन व सामाजिक स्तर पर सदैव भारत पर आश्रित रहा है। यहां तक कि भारत ने कई बार मालदीव में लोकतंत्र की रक्षा की है। भारत के पक्ष में बयान देने वाले नेताओं में मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह, पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद, पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद आदि शामिल रहे हैं। यहां तक कि मुइज़्ज़ू के इंडिया आउट के नारे के विपरीत पूर्व राष्ट्रपति सोनिह ने इंडिया फर्स्ट की नीति क्रियान्वित की थी। दरअसल, हालिया लक्षद्वीप यात्रा में प्रधानमंत्री ने स्नॉर्कलिंग करते हुए फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की थी कि रोमांच पसंद लोग पर्यटन के लिए देश में लक्षद्वीप आएं। जिसके बाद लाखों लोगों ने लक्षद्वीप को गूगल पर सर्च किया। जिसे मालदीव के नेताओं ने उनके पर्यटन के लिये चुनौती माना। अपरिपक्व राजनेताओं ने आनन-फानन बेतुके बोल सोशल मीडिया पर शेयर करने शुरू कर दिये।

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