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आत्मीय अहसासों के शब्द

06:49 AM Feb 11, 2024 IST

सुशील ‘हसरत’ नरेलवी

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काव्य-संग्रह ‘मैं और मेरे एहसास’ युवा कवि नगेंद्र तक्षक का प्रथम काव्य-संग्रह है, जिसमें 39 कविताओं का समावेश है। इन कविताओं में मुहब्बत करवट लेती है, महबूब की मीठी यादों का ज़ायक़ा है तो वहीं यादों के सितम भी हैं। उलफ़त की अठखेलियों संग प्यार-मनुहार का दौर भी चलता है और तन्हाई के आलम की कोख से जन्मे हिज़्र के लम्हात की दास्तां भी अंकित है। ‘वो एक गली’ कविता से कवितांश : ‘ये इश्क देख, ये वस्ल देख, ये हिज़्र देख/ आज माशूका की गली के उजड़े घर देख।’
कविता ‘मुरशिद’ में कवि खुदा से तमाम तरह ही फ़रियाद करता है और उम्मीद भी करता है कि वो ही सब कुछ ठीक करेगा। कविता ‘अश्क’ में कवि दिलबर के बिछोह में बहते अश्क की तुलना करते हुए कहता है : ‘पलकों पे सनोबर के पत्तों से गिरते/ ओस की बूंदों की भांति/ जो एक मोती बह रहा है/ वो एक याद है।’ यादों का क़ाफि़ला साथ लिए चलती है संग्रह की अनेक कविताएं। कविता ‘वो समा’ से : ‘दीवार अकेलेपन की मैं तू कहीं दूर दिखाई देती है/ जहां बैठे थे हम वहीं कहीं तेरी सदा सुनाई देती है।’ इंसानी फि़तरत के बाइस सोज़ की चुभन देखिए : ‘हंसी कहां, सुकून कहां, हम न जान पाए/ अपना कौन, पराया कौन, न पहचान पाए।’
‘मैं और मेरे एहसास’ की कविताओं के कथ्य में शैदाई का आलम, अदाएं, गुमराह राही की टीस, पायल की खनक, ख्यालों की परवाज़, तकरार की तल्खी तो ज़ुल्मत जुरअत का रंज, कुदरत की खूबसूरती और आदमियत को लेकर ताक़ीद, दीदार-ए-सनम है, बेदर्दी का आलम, उदासी, निरसता, कुछ छूटने-टूटने के मनोभावों का चित्रण, तो यादों का मौसम अंगड़ाई लेता है। इनमें भावों की सपाट बयानी है। भाषा सहज, सरल एवं शैली काव्यानुरूप। शिल्प कसावट की मांग करता है।
पुस्तक : मैं और मेरे एहसास कवि : नगेंद्र तक्षक प्रकाशक : सप्तऋषि प्रकाशन, चडीगढ़ पृष्ठ : 96 मूल्य : रु. 200.

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