Silver Trade In Chamba : 'चंबे चांदी भथेरी हो'
चंबा, 9 फरवरी (निस) : चंबा जिला चांदी धातु व्यापार के लिए विश्व प्रसिद्ध (Silver Trade In Chamba) रहा है। रियासतकाल में चंबा में चांदी का व्यापार बड़े पाने पर किया जाता रहा है। यह बात अलग है कि वर्तमान समय में आधुनिकता के दौर में जहां सोने के आभूषणों व आर्टिफिशल आभूषणों ने गृहणियों में आभूषण पहनने के शौक में कुछ बदलाव लाया है। लेकिन जिला के कई क्षेत्रों में आज भी कई समुदायों चांदी के आभूषणों को सोने के आभूषणों की तुलना में अधिक महत्व दे रहे हैं।
Silver Trade In Chamba : ऐसे शुरू हुआ व्यापार
गौर हो कि चंबा में चांदी का व्यापार यूं ही शुरू नहीं हो गया था। बल्कि इसके लिए बाहरी राज्यों के व्यापारी बकायदा खरीद फरोख्त के बदले चंबा के लोगों को चांदी देकर जाते थे। उस जमाने में रूपये या पैसों का मोल नहीं था। बस इसी चांदी को बाद में चंबा के लोगों ने आभूषण के रूप में पहनना शुरू कर दिया और चंबा चांदी के लिए जाना जाने लगा। 16 वीं शताब्दी मुगल शैली विभिन्न कलाओं के विकसित होने के साथ ही चंबा में चांदी धातु आभूषणों का प्रचलन विकसित हुआ।
बांस से बने होते थे गहने
इससे पूर्व समय में स्थानीय लोगों द्वारा सर्वप्रथम लकड़ी, बांस की तिलियों को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर कान व नाक में डालते थे। जबकि गले, हाथ व पांव में फूलों की छोटी-बड़ी मालाओं को पहना जाता था। जिन्हें बालों में गजरे के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता था। मगर भरमौर के बाद चंबा रियासत गठित होने पर यहां व्यापार के लिए पड़ोसी राज्यों से व्यापारियों व धातु निर्माण से जुड़े कलाकारों, सुनारों को तीन से छह माह तक अस्थायी रूप से व्यापार करने व रहने की प्रचलन आरंभ किया गया।
Silver Trade In Chamba : लकड़ी व बांस के बाद शुरू हुआ चांदी का दौर
जिससे प्राचीनकाल में लकड़ी व बॉस के आभूषण पहनने के रिवाज के स्थान पर चांदी आभूषण पहनने का दौर आरंभ हुआ। प्रसिद्ध लोकगीत 'कुंजू चंचलों' में 'चंबे चांदी भथेरी हो' बोल लिखे गए हैं। जोकि धातु व रियायसत एवं कला से जुड़ी हकीकत को बयान करती है। बेशक वर्तमान में चांदी आभूषण धातु की जगह सोने व अन्य धातुओं ने अधिक ले लिए हैं। लेकिन रियासतकालीन समय की चांदी चंबा में आज भी बेहद प्रसिद्ध है।

इन जिलों में अब भी चांदी की चमक
जिला के चुराह, भटियात, भरमौर सहित चंबा मुख्यालय के साहो, सिल्लाघ्राट क्षेत्र में रहने वाले कई धर्म व जाति से जुड़ी गृहणियां आज भी सोने की बजाय चांदी के आभूषण धारण करती है। जिसमें अगर कुछ स्थलों पर कई गृहणियां नथ, सिंगार टीका, झुमकों में सोने के आभूषण बेशक इस्तेमाल में लाती हैं लेकिन चांदी के आभूषणों को वह हाथ के कंगनों व गले के हार सहित अवश्य धारण करती है। जिन्हें वह विवाह व अन्य समारोह में पहनना शुभ मानती है।
चांदी से निर्मित होने वाले आभूषणों में चोकफूल, झुमके, डोडमाला, सबी, कंगन, टोके, छन, कंघनू, वंगा, पंजेब, तोड़ा व चूड़ियां आदि आभूषण शामिल हैं। जिनमें से कुछ इलाकों में ये आभूषण आज भी बनाए व पहने जाने की परंपरा है।