नयेपन की सोच के साथ सही दिशा भी चुनें महिलाएं
डॉ. मोनिका शर्मा
नववर्ष दस्तक दे चुका है। साल का यह शुरुआती पड़ाव मन-जीवन के मोर्चे पर नवीन बदलाव के लिए एक मोड़ समान होता है। ऐसे में विचार, व्यवहार, कामकाजी, सामाजिक या शौक के मोर्चे पर कोई भी नई राह पकड़ने से पहले नयेपन का सही अर्थ समझना जरूरी है। नयेपन का अर्थ कई बार महिलाएं सिर्फ नए बदलाव भर के रूप में समझती हैं। यानी नए साल में कुछ नया करना है, बस! जबकि नए मार्ग पर भी सही दिशा में चलना ही मायने रखता है। आज जब हमारे सामने सीखने, जानने-समझने के ही नहीं, दिशाहीन हो जाने के भी इतने रास्ते हैं, इस चुनाव में समझदारी बरतना और जरूरी हो गया है।
नई सोच अपनाएं
नयेपन को सिर्फ बाहरी गतिविधि से ही जोड़कर न देखें। नयापन मन को नया रंग देने वाला भी हो। सोच को भी नई दिशा में मोड़ने वाला हो। ध्यान रहे कि भीतर से आने वाले बदलाव अधिकतर सहज और सार्थक होते हैं। यों भी जीवन में नयेपन की स्वीकार्यता के लिए मन-मस्तिष्क का नयापन तो जरूरी है ही । नई शुरुआत करने का पहला कदम वैचारिक मोर्चे पर खुद को बेहतर बनाने से ही जुड़ा है। इस मामले में हमारे अपने मन की आवाज़ और मौलिक समझ एक अलार्म की तरह काम करती है। दिल की सुनकर लिया गया निर्णय कभी दिशाहीन नहीं कर सकता। इतना ही नहीं यूं नई सोच के साथ चुने रास्ते पर चलना भी आसान होता है। सही दिशा में आगे बढ़ने का विचार उत्साह को और बढ़ाता है। कहते भी हैं कि इस संसार में इंसान के दिमाग से शक्तिशाली कुछ नहीं है। इसे सही दिशा में इस्तेमाल किया जाए तो कमाल किया जा सकता है। स्वामी विवेकानंद का भी कथन है कि ‘जैसा हम सोचते हैं, वैसे ही बन जाते हैं। हमेशा याद रखिए क्योंकि जैसे हमारे विचार होते हैं, हमारा स्वभाव भी उसी के मुताबिक ढल जाता है। इसीलिए विचारों को सही दिशा देकर उन्हें व्यावहारिक धरातल पर भी उतारें।
संवारने का सही अर्थ समझिए
आज हम नया करने के नाम पर खुद को संवारने और बेहतर बनाने के अनगिनत विकल्पों से घिरे हैं। तकनीक और स्टाइल के मेल ने अंधानुकरण की स्थिति पैदा कर दी है। नयेपन के नाम पर महिलाएं अजब-गजब रील्स बनाकर आभासी स्टारडम हासिल करने की दौड़ में भागती दिखती हैं। आत्ममुग्धता के चलते बुनियादी सोच से दूर हो रही हैं। सोशल मीडिया में उनकी हर पल की मौजूदगी असल सामाजिकता से नाता तोड़ रही है। यह भी एक भ्रम ही है कि वे बहुत कुछ नया कर रही हैं। यहां मिलने वाले रिएक्शन आपको बांधते हैं । जबकि सार्थक दिशा में आगे बढ़ रहा इंसान तो स्वतंत्र महसूस करता है। ऐसे में नये साल में खुद को संवारने के लिए नए रास्ते चुनते हुए अपनी यात्रा की सार्थकता को लेकर भी सोचें। खुद को बेहतर बनाने के मामले में सही दिशा में उठाया गया छोटा कदम भी बड़ा बदलाव ला सकता है। बशर्ते आप जो हैं, जितना सामर्थ्य रखती हैं, उसे आंकते हुए सही दिशा में ये कदम बढ़ाए जाएं।
ढूंढिए नहीं, जीना सीखिए
कहते हैं कि खुशी की तलाश दुःख के सबसे बड़े कारणों में से एक हैं। ऐसे में नववर्ष में खुशियां ढूंढने के फेर न पड़कर अपनी ऊर्जा वर्तमान को संवारने में लगाइए। आज की बेहतरी ही आने वाले कल में सच्ची खुशी पाने का सही रास्ता है। ओवर कम्युनिकेशन के इस दौर में हम सब जाने क्या तलाश रहे हैं? कितना कुछ कहते जा रहे हैं? अपने जीवन से जुड़ा सभी कुछ लोगों से साझा कर रहे हैं। शेयरिंग की इस धुन ने सुकून से जीने का ठहराव छीन लिया है। इसकी वजह सही दिशा न चुनना ही है। बहुत कुछ सिर्फ इसलिए किया जा रहा है कि दूसरे लोग भी वही कर रहे हैं। यों गुमराह होना तो और उलझाता जाता है जिससे मानसिक और शारीरिक ऊर्जा भी रीतती जाती है। इसीलिए सार्थक बदलाव के मायने सजग, जागरूक और आत्मविश्वासी होने के तौर पर समझें। इसके लिए परिस्थितियों का मूल्यांकन करते हुए जिंदगी से कदमताल करना आवश्यक है। स्वयं अपने सही और गलत निर्णय को देखते-समझते हुए अपना नया नज़रिया बनाएं। पुख्ता समझ के साथ बना आपका दृष्टिकोण जीवन में सभी सोपानों पर संतुष्टि की सौगात देता है आज को जीते हुए नये साल में आने वाले कल की हसरतों को हकीकत बनाने के लिए सही दिशा चुनें और बढ़ चलें।