नारी केंद्रित साहित्य विशेषांक
गैर-हिंदी भाषी राज्य महाराष्ट्र में हिंदी की अलख जगाए रखने वाले मंथन के प्रधान संपादक डॉ. महेश अग्रवाल का साहित्य अनुराग प्रशंसनीय है। अपने 29 वर्ष में मंथन साहित्य समग्र के अंतर्गत नारी केंद्रित साहित्य विशेषांक पठनीय व संग्रहणीय है। साहित्य विशेषांक 2024 का संपादन वरिष्ठ पत्रकार विमल मिश्र ने किया है। इस अंक में चित्रा मुद्गल की कहानी ‘हथियार’ एक उलझे पारिवारिक रिश्ते की मार्मिक कथा है। अलका सरावगी की कहानी ‘एक पेड़ की मौत’, मालती जोशी की कहानी ‘उसने नहीं कहा’, सुदर्शना द्विवेदी की ‘कहो तो सही’, जंयती रंगनाथन की ‘चौथा मुसाफिर’, नीरज माधव की ‘छोटू’ व ममता सिंह की ‘सन्नाटा ऑनलाइन’ कहानियां हृदयस्पर्शी हैं। समीक्ष्य अंक में पुस्तक अंश के रूप में मृदुला गर्ग की रचना ‘बेमिसाल टीचरें’ तथा आत्मकथ्य में सूर्यबाला की रचना ‘ये तुम लोगों के मामा हैं’ पठनीय हैं। वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ सचदेव की बेबाक टिप्पणी, राजेश जोशी व डॉ.बुद्धिनाथ मिश्र आदि की कविताएं व हरि मृदुल की लघुकथा अंक को समृद्ध करती हैं। अंक में मायानगरी में फिल्मों से जुड़ा रोचक लेख भी शामिल है।
पत्रिका : सब्जेक्ट मंथन (साहित्य विशेषांक) अतिथि संपादक : विमल मिश्र प्रकाशक : डॉ. महेश अग्रवाल अग्रसेन टावर, ठाणे पृष्ठ : 90 मूल्य : रु. 65.