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विधानसभा का शीत सत्र जल्द संभव, सरकार ने राज्यपाल को भेजा पत्र

10:59 AM Nov 05, 2024 IST

चंडीगढ़, 4 नवंबर (ट्रिन्यू)
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि विधानसभा का शीतकालीन सत्र बहुत जल्द आयोजित किया जाएगा। इसके लिए सरकार की तरफ से राज्यपाल को पत्र भेज दिया गया है। मुख्यमंत्री सोमवार को पंचकूला में पुस्तक मेले के उद्घाटन अवसर पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विधानसभा के एक दिवसीय सत्र में विधायकों की शपथ ग्रहण तथा स्पीकर व डिप्टी स्पीकर का चुनाव हो चुका है।
अब विधिवत रूप से विधानसभा का नियमित सत्र बुलाया जाएगा। इसमें सभी विधायकों को अपने-अपने हलकों की बात रखने का अवसर मिलेगा। सैनी ने कहा कि अभी कोई तिथि निर्धारित नहीं हुई है लेकिन प्रयास किया जा रहा है कि लोकसभा के सत्र से पहले-पहले विधानसभा सत्र का आयोजन किया जाए। माना जा रहा है कि 8 नवंबर से विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुलाया जा सकता है। नायब सरकार के पहले कार्यकाल में जारी किए गए आर्डिनेंस से जुड़े विधेयक इस सत्र में पेश होंगे।
प्रदेश में पराली को लेकर चल रहे विवाद पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में पिछले तीन वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल प्रदेश में पराली जलाने के 38 फीसदी कम मामले सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में किसानों ने धान की खेती को छोड़कर वैकल्पिक खेती को अपनाना शुरू कर दिया है वहीं पराली प्रबंधन में भी सरकार के साथ आकर खड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों को पराली प्रबंधन के लिए दी जाने वाली मशीनों पर सब्सिडी बढ़ाने को लेकर भी विचार किया जा रहा है। आने वाले समय में हरियाणा पराली प्रबंधन के मामले में भी टॉप करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में डीएपी की कोई कमी नहीं है। विपक्ष इस मामले में नकारात्मक नेरेटिव सैट करने का प्रयास कर रहा है। उपलब्धता को लेकर समीक्षा की। उन्होंने कहा कि राज्य में डीएपी खाद की कोई कमी नहीं है और सभी किसानों को समय पर खाद मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले साल रबी सीजन में अक्तूबर 2023 में डीएपी की कुल खपत 1,19,470 मीट्रिक टन (एमटी) थी, जबकि अक्तूबर 2024 में खपत 1,14,000 मीट्रिक टन रही। आज की तारीख में राज्य में डीएपी की उपलब्धता 24000 मीट्रिक टन है और किसानों के लिए डीएपी की दैनिक आपूर्ति के लिए रेक प्लानिंग की गई है। वर्ष 2023 रबी सीजन के दौरान नवंबर में कुल 72697 मीट्रिक टन की खपत हुई थी।

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