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ड्रोन की मदद से 100 रुपये प्रति एकड़ में यूरिया नैनो का करेगा छिड़काव

08:02 AM Dec 15, 2023 IST
प्रतिकात्मक चित्र

सोनीपत, 14 दिसंबर (हप्र)
रबी सीजन में नैनो यूरिया का प्रयोग बढ़ाने के लिए कृषि विभाग ने पहल शुरू कर दी है। कृषि विभाग फिलहाल 5 हजार एकड़ भूमि पर ड्रोन की मदद से नैनो यूरिया का छिडक़ाव करेगा। इसका लाभ मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण कराने किसान को ही मिल सकेगा। कृषि विभाग स्वयं मात्र 100 रुपये प्रति एकड़ में आपके खेत में नैनो यूरिया का छिडक़ाव करेगा।
रासायनिक खादों के अत्यधिक प्रयोग से फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। खेत में आवश्यकता से अधिक खाद का छिड़काव किए जाने से फसल उत्पादन का लागत मूल्य भी बढ़ जाता है। यही नहीं खाद की मांग भी अधिक रहती है। ऐसे में सरकार किसानों को दानेदार यूरिया की बजाए नैनो यूरिया के इस्तेमाल को प्रेरित कर रही है। तरल रूप में मौजूद नैनो यूरिया के इस्तेमाल से खेत में आवश्यकता से अधिक यूरिया के छिड़काव से बनने वाली समस्याएं दूर हो सकती हैं। कृषि विभाग को पांच हजार एकड़ भूमि पर ड्रोन से नैनो यूरिया का छिड़काव करने का लक्ष्य दिया गया है। पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर सबसे पहले जिन किसानों ने पंजीकरण करवाया उनके खेत में कृषि विभाग की टीम ड्रोन के माध्यम से छिडक़ाव करेगी।
योजना को सिरे चढ़ाने के लिए कृषि उपनिदेशक डॉ. पवन शर्मा ने खाद एजेंसियों व कृषि अधिकारियों की बैठक ली है। बैठक में सहायक कृषि अभियंता, गुण नियंत्रण अधिकारी, इफको, कृभको व हैफेड के अधिकारी मौजूद रहे।

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खुद उपलब्ध करायेगा विभाग

छिडक़ाव आधुनिक तकनीक से लैस ड्रोन के माध्यम से किया जाएगा। सेंसर की मदद से ड्रोन खेत के प्रत्येक भाग में एक समान यूरिया का छिडक़ाव करेगा। इतना ही नहीं नैनो यूरिया भी कृषि विभाग स्वयं उपलब्ध कराएगा।

रासायनिक खाद के अधिक छिड़काव से यह होते हैं नुकसान

किसान आवश्यकता से अधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का छिडक़ाव करते हैं तो मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है। वायु प्रदूषण बढ़ता है, लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। अत्यधिक छिडक़ाव से फसलों की गुणवत्ता पर पड़ता है, निर्यात प्रभावित होता है। फसल उत्पादन की लागत में बढ़ोतरी होती है।

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अत्याधिक रासायनिक खादों के इस्तेमाल से फसलों की गुणवत्ता प्रभावित होती है। विभाग ने नया प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसके तहत किसानों को तरल रूप में मौजूद नैनो यूरिया के छिडक़ाव के प्रति प्रेरित किया जा रहा है।
-डॉ. पवन शर्मा, कृषि उपनिदेशक, सोनीपत

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