चंडीगढ़ हाउस टैक्स, कलेक्टर रेट में वृद्धि का व्यापक विरोध, वापस लेने की मांग
मनीमाजरा (चंडीगढ़), 3 अप्रैल (हप्र)
वरिष्ठ कांग्रेस नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री और चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी ने चंडीगढ़ में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए हाउस टैक्स और कलेक्टर दरों में की गई बेतहाशा वृद्धि को वापस लेने की मांग की है। बृहस्पतिवार को लोकसभा में इस मामले को उठाते हुए तिवारी ने कहा कि संपत्ति की बिक्री एवं खरीद के लिए हाउस टैक्स की दरों और कलेक्टर दरों में भारी वृद्धि स्पष्ट रूप से शहर के नगर निगम के खर्चों को पूरा करने के लिए की गई है, जो दिवालिया प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली वित्त आयोग द्वारा विकसित फार्मूले के अनुसार चंडीगढ़ नगर निगम को केंद्रीय बजट से केंद्र शासित प्रदेश को मिलने वाले कुल अनुदान का 30 प्रतिशत मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस वर्ष केंद्र शासित प्रदेश को 6100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसका मतलब यह है कि चंडीगढ़ नगर निगम को अपने विभिन्न खर्चों को पूरा करने के लिए 1700 से 1800 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे। उन्होंने आगे कहा कि चंडीगढ़ नगर निगम को केवल 570-580 करोड़ रुपये मिलते हैं, जो कि दिल्ली वित्त आयोग और यहां तक कि 15वें वित्त आयोग द्वारा राज्यों और उनके संबंधित शहरी स्थानीय निकायों के बीच संसाधनों के अंतर-सेवा बंटवारे के लिए अनुशंसित 30 प्रतिशत से बहुत कम है। चंडीगढ़ के सांसद ने कहा कि राजस्व देने वाले सभी विभाग चंडीगढ़ प्रशासन के पास हैं, जबकि अधिक व्यय वाले सभी विभाग चंडीगढ़ नगर निगम के पास हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस वृद्धि को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे चंडीगढ़ के निवासियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा, जो पहले से ही जीवन-यापन की उच्च लागत और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण वित्तीय दबाव में हैं। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ के अधिकांश निवासी कर्मचारी या सेवानिवृत्त जैसे कामकाजी वर्ग के लोग हैं, जो अत्यधिक हाउस टैक्स और अतिरिक्त कलेक्टर दरों के माध्यम से उन पर लगाए गए ज्यादा बोझ को वहन नहीं कर सकते हैं।
आप ने दी प्रदर्शन की चेतावनी
आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ ने नगर निगम द्वारा संपत्ति कर दरों में की गई अनुचित बढ़ोतरी का कड़ा विरोध किया है। हाल ही में नगर निगम आयुक्त को सौंपे गए पत्र में आप ने इस वृद्धि को तुरंत वापस लेने की मांग की है। आप चंडीगढ़ ने जोर देकर कहा है कि यह वृद्धि पहले ही नगर निगम सदन के निर्वाचित सदस्यों द्वारा अस्वीकार की जा चुकी थी, फिर भी प्रशासन ने मनमाने तरीके से इसे लागू कर दिया। पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि पंजाब नगर निगम अधिनियम, 1976 की धारा 90 की उपधारा (3), जिसे पंजाब नगर निगम कानून (चंडीगढ़ पर विस्तार) अधिनियम, 1994 के तहत केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में लागू किया गया था, के अनुसार किसी भी कर संशोधन को सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर आधिकारिक रूप से लागू किया जाना आवश्यक है। अधिसूचना के बिना इस वृद्धि को अवैध और शून्य माना जाना चाहिए। विजय पाल सिंह, अध्यक्ष आप ने कहा कि यह गैरकानूनी कर वृद्धि चंडीगढ़ के नागरिकों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डाल रही है। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन इस फैसले को वापस नहीं लेता है, तो पार्टी मजबूर होकर तीव्र विरोध प्रदर्शन के लिए बाध्य होगी।