लाचारी में खजूर क्यों बेचें हुजूर
आलोक पुराणिक
दिल दहल-सा गया उन उस्ताद का फोटू खजूर की सेल के साथ देखकर।
सरोद के पिचहत्तर पार के वह उस्ताद हाथ में सरोद लिये बैठे हैं, साथ में बताया गया है कि फलां खजूर खाइये सिर्फ पांच रुपये में। खजूर खाना बहुत अच्छी बात है, खजूर बेचना भी बहुत अच्छी बात है, पर संगीत के इतने बड़े उस्ताद हाथ में सरोद लेकर खजूर बेचें, तो उस्ताद और सरोद दोनों की बेइज्जती खराब होती है। 75 पार के वयोवृद्ध उस्ताद के चेहरे पर एक दीनता का भाव है, हाथ में सरोद है, फोटो देखकर लग रहा है कि अभी कह उठेंगे-ले लो, ले लो कंटान करारे, खजूर, हुजूर बेहतरीन है खजूर हैं, एक बार खाइये।
उफ्फ, सीखा सरोद, बेचें खजूर कुछ कहावत हो सकती है, पढ़ें फारसी बेचें तेल टाइप्स। उस्ताद के चेहरे पर ऐसे भाव हैं कि ले जाओ भाई प्लीज ले जाओ।
सरोद बहुत ही दयनीय लग रहा है बताओ क्या हो रहा है। सरोद वह सेल्स काउंटर लग रहा है, जिस पर रखकर खजूर बेचा जा रहा है। खजूर की अपनी जगह है, सरोद की अपनी जगह है, सेल की अपनी जगह है। तीनों एक ही जगह मिल जाते हैं, तो खजूर की इज्जत भले ही बढ़ जाये, पर सरोद और उस्ताद की इज्जत अफजाई कतई नहीं होती।
क्या सरोद के गुण ग्राहक न रहे। उस्ताद क्या कहना चाह रहे हैं कि फलां ब्रांड के खजूर खाकर सरोद बजाना बेहतर आता है। उस्ताद खजूर और सरोद को जोड़कर क्या बताना चाहते हैं, यह सवाल बेकार का है। अमिताभ बच्चन तो जाने क्या क्या बेचते हैं। पर अमिताभ बच्चन अगर कुछ न बेचते दिखें, तो अमिताभ बच्चन न लगेंगे। पुराने वक्त के यह एंग्री यंगमैन अब स्मार्ट सेल्स मैन हो गये हैं। इसे विकास ही माना जायेगा।
पर पर पर, उस्ताद सरोद वाले खजूर बेचते अच्छे न लग रहे हैं, धक्का-सा लगता है। संगीत की धारा में डुबो देने वाला उस्ताद खजूर ले लो, खजूर ले लो करे, यह बात अशोभनीय तक मालूम देती है। क्या सरोद सुनने वाले, सरोद सुनने का पैसा देने वाले खत्म हो गये क्या देश विदेश में।
पता नहीं, मैंने तो कभी भी सरोद न सुना। इलीट लोग सरोद सुनते थे और उसके पैसे भी देते थे, क्या उन्होंने भी सरोद सुनना बंद कर दिया? पर एक मसला यह भी है कि बड़े लोग कमाई के मामले में कहीं रुकना नहीं चाहते। बड़े-बडे खिलाड़ियों को सरकारें करोड़ों रुपये देती हैं, ये इनाम, वो इनाम, फिर भी खिलाड़ी कहीं न कहीं कोल्ड ड्रिंक या कुछ और बेचते दिख जाते हैं। कमाई चाहे जितनी हो, कुछ एक्स्ट्रा कमाई की चाह किसे नहीं है। कुछ ऊपर की हो जाये, ऐसी चाह किसकी नहीं है। ऐसा लगता है उस्ताद सरोद वाले क्या कुछ ऊपरवाली के चक्कर में हैं। उनका भी हक है, बस सरोद को हटा दें, सरोद खजूर बेचता हुआ खराब ही नहीं, अश्लील लगता है।