For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

शतरंज में छाये भारतीय गोल्डन गर्ल्स और ब्वाय

10:35 AM Sep 29, 2024 IST
शतरंज में छाये भारतीय गोल्डन गर्ल्स और ब्वाय
Advertisement

साशा
इससे पहले चेस ओलम्पियाड में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2022 में मामल्लपुरम, तमिलनाडु में रहा था, जब उसने दो टीम कांस्य पदक जीते थे। भारत की पुरुष टीम ने 2014 में भी कांस्य जीता था। हालांकि चेस ओलम्पियाड टीम मुकाबलों पर आधारित होता है कि एक टीम को चार बोर्ड्स पर अपने खिलाड़ी उतारने पड़ते हैं और उनके संयुक्त प्रदर्शन से टीम को रैंकिंग व पदक मिलते हैं। लेकिन गेम में भी किसी खिलाड़ी का प्रदर्शन अन्य से बेहतर होता है, इसलिए उसे अलग से पुरस्कृत किया जाता है।
चेस ओलम्पियाड में भारत ने दो टीम गोल्ड मैडल के अतिरिक्त चार बोर्ड गोल्ड मैडल भी जीते, जोकि डी गुकेश, अर्जुन एरिगैसी, दिव्या देशमुख व वंतिका अग्रवाल को मिले। इसलिए इस चेस ओलम्पियाड में यही चारों भारतीय शतरंज के गोल्डन बॉयज एंड गर्ल्स रहे।

Advertisement


व्यक्तिगत प्रदर्शन के आंकड़े
इन चारों को यह सम्मान तो मिलना ही था क्योंकि व्यक्तिगत तौर पर इनका प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा, जोकि आंकड़ों से भी स्पष्ट है। अर्जुन एरिगैसी ने 11 चक्रों में 10 पॉइंट्स अर्जित किये (9 जीत व 2 ड्रा), डी गुकेश ने 10 चक्रों में 9 पॉइंट्स अर्जित किये (8 जीत व 2 ड्रा), दिव्या देशमुख ने 11 चक्रों में 9.5 पॉइंट्स अर्जित किये (8 जीत व 3 ड्रा) और वंतिका अग्रवाल ने 9 चक्रों में 7.5 पॉइंट्स अर्जित किये (6 जीत व 3 ड्रा)।
गुकेश के काम आते हैं मां के टिप्स
हालांकि जिसके सिर सेहरा बंधता है वह ही विजेता होता है, लेकिन उसे जीत के मुक़ाम तक पहुंचाने में बहुत लोगों का हाथ होता है, जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। मसलन, गुकेश की मां पदमा उनकी मुख्य मेंटर व उनके सपोर्ट स्टाफ की ‘अनधिकृत’ सदस्य हैं। हर मैच से पहले गुकेश अपनी माइक्रोबायोलॉजिस्ट मां पदमा से अवश्य संपर्क करते हैं। गुकेश को रोज़ ही अपनी मां के टिप्स चाहिए होते हैं। इस ‘रूटीन’ का पालन बुडापेस्ट चेस ओलम्पियाड में भी किया गया, जहां भारत की पहली गोल्ड मैडल जीत में गुकेश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। बता दें कि 18 वर्षीय गुकेश ने अपना कोई मैच नहीं हारा और लगातार दूसरी बार व्यक्तिगत बोर्ड गोल्ड हासिल किया। वहीं गुकेश के पिता रजनीकांत हर प्रतियोगिता में उनके साथ जाते हैं। वहीं मां-बेेटे में रोज़ाना कुछ मिनट बात होती हैं, लेकिन गुकेश को गोल्डन बॉय बनाने के लिए इतना समय पर्याप्त है।
दिव्या और अवंतिका का कमाल
लगभग तीन माह पहले दिव्या देशमुख ने विश्व जूनियर शतरंज चैंपियन का खि़ताब जीता था। अब नागपुर की इस 18 वर्षीय लड़की ने बुडापेस्ट में भारत की सफलता की कहानी में अहम भूमिका अदा की। पोलैंड के विरुद्ध 8वें चक्र में सिर्फ़ दिव्या ने ही जीत दर्ज की थी, जबकि हमारी तीन अन्य खिलाड़ी हार गईं थीं। इसी तरह चीन के विरुद्ध भी वह एकमात्र विजेता थीं, जबकि शेष तीन बोर्ड्स पर ड्रा खेला गया था। अंतिम चक्र में दिव्या ने अज़रबैजान की बी गौहर को मात्र 30 चालों में पराजित किया और भारत को स्वर्ण पदक के नज़दीक पहुंचाया। बाकी काम वंतिका अग्रवाल ने पूरा कर दिया। वंतिका जुडित पोल्गर से ट्रेनिंग प्राप्त कर रही हैं, जो मैगनस कार्लसन जैसे सर्वकालिक महान खिलाड़ी पर भी जीत दर्ज किये हुए हैं।
जिन्होंने सभी 11 चक्र खेले
दिव्या भारत की एकमात्र महिला खिलाड़ी रहीं जिन्होंने सभी 11 चक्र खेले। वह बताती हैं, “पिछले ओलम्पियाड में मैं टीम बी के लिए रिज़र्व खिलाड़ी थी, जहां मैंने बोर्ड-5 कांस्य पदक जीता था। तब से मेरी इच्छा मज़बूत खिलाड़ी बनने की थी ताकि मैं गोल्ड के लिए अच्छा योगदान कर सकूं। मैं अपने प्रदर्शन को लेकर खुश हूं, गर्व भी है।” शतरंज ऐसा खेल है जो जिस्म के साथ शरीर को भी थका देता है। ऐसे में ऊर्जा का स्तर बनाये रखना आसान नहीं होता है। इसलिए दोनों अर्जुन व दिव्या को सलाम है कि उन्होंने सभी 11 चक्र खेलने की हिम्मत दिखायी। इन दोनों का कहना है कि जब देश की बात आती है तो करो या मरो की स्थिति होती है और तब अपना सब कुछ दांव पर लगाना पड़ता है।
सही योजना पर दारोमदार
शतरंज में खिलाड़ियों पर कितना अधिक मानसिक दबाव होता है इसे वंतिका यूं बताती हैं : “अब यानी जीत के बाद मैं राहत महसूस कर रही हूं। मैच से पहले के दो दिन तो इतना अधिक तनाव था”। तनाव के कारण अक्सर यह भी देखने को मिलता है कि हाई रेटिंग वाला खिलाड़ी अपने से कम रेटिंग वाले खिलाड़ी से हार जाता है। इसलिए टीम प्रतियोगिता में बहुत सोच-समझकर योजना बनानी पड़ती है। यही कारण है कि अर्जुन को तीसरे बोर्ड पर खिलाना मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ। वह अपने से कम रेटिंग वाले खिलाड़ी को हराने में माहिर हैं। यही योजना भारत की जीत का आधार बनी। इ.रि.सें.

Advertisement
Advertisement
Advertisement