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जहां परवान चढ़ी थी हरिवंश राय बच्चन और तेजी की प्रेम कहानी

11:38 AM Aug 11, 2022 IST
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हरियाणा सरकार द्वारा 1947 के बंटवारे को लेकर ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाया जा रहा है और सरकार लोगों के संघर्ष और बलिदान को याद करते हुए 14 अगस्त को कुरुक्षेत्र में प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम आयोजित करेगी। इसी संदर्भ में आज पढ़िये एक महाविद्यालय की गाथा जिसे लाहौर में राय फतेहचंद ने बनवाया…

(संपादक)

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कुमार मुकेश/हप्र

हिसार, 10 अगस्त

नारी शिक्षा के पक्षधर लाहौर के राय फतेहचंद की वसीयत की बदौलत करीब 88 साल पहले लाहौर में बना फतेहचंद महिला महाविद्यालय सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के माता-पिता की प्रेम कहानी की निशानी भी है। यह महाविद्यालय बंटवारे में भारत के हिस्से आया और अब हिसार में संचालित हो रहा है। लाहौर में प्रकाशित महाविद्यालय की पत्रिका ‘दी वीना’ में प्रकाशित तथ्यों के आधार पर महाविद्यालय की गवर्निंग बॉडी के प्रधान रामकुमार रावलवासिया ने बताया कि राय फतेहचंद ने मात्र 9 माह की तैयारी में वर्ष 1884 में दसवीं कक्षा अच्छे नंबरों से प्राप्त कर स्कॉलरशिप हासिल की थी। वे मानते थे कि शिक्षा के बिना नारी उत्थान नहीं हो सकता। उनकी इसी सोच ने फतेहचंद महिला महाविद्यालय की नींव रखी।

हिसार के दयानंद महाविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर महेंद्र सिंह रोहिल्ला बताते हैं कि राय फतेह चंद ने अपनी वसीयत में लिखा था कि उनकी सारी संपत्ति से एक महिला महाविद्यालय बनाया जाए। वर्ष 1931 में उनका देहांत हो गया और बाद में 1934 में लाहौर में फतेहचंद महिला महाविद्यालय की स्थापना की गई। इस महाविद्यालय में फैसलाबाद की तेजी सूरी विद्यार्थी रहीं। इतिहास की कुछ किताबों में उल्लेख है कि तेजी सूरी को कविता पाठ का शौक था और हरिवंश राय बच्चन काफी बार कविता-पाठ प्रतियोगिता में बतौर जज वहां आए। तेजी सूरी छात्र जीवन में ही हरिवंश राय बच्चन से प्रभावित हो गई। इसके बाद तेजी सूरी इसी महाविद्यालय में मनोविज्ञान विषय की प्राध्यापिका भी नियुक्त हुईं।

प्रो. रोहिल्ला ने बताया कि हरिवंश राय बच्चन के मित्र प्रकाश जौहरी बरेली कॉलेज में अंग्रेजी के प्राध्यापक थे और उनकी पत्नी प्रेमा लाहौर फतेहचंद महाविद्यालय की प्रिंसिपल थी। घनिष्ठता के चलते प्रेमा को तेजी सूरी के मन की बात पता थी। इसी दौरान 31 दिसंबर, 1941 में प्रेमा और प्रकाश जौहरी ने तेजी सूरी को बरेली बुलाया और हरिवंश राय बच्चन को भी निमंत्रण दे दिया।

हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा के अनुसार उस रात उन्होंने ‘क्या करूं संवेदना लेकर तुम्हारी’ कविता सुनाई तो तेजी सूरी अपने आंसू नहीं रोक पाई और तेजी को देखकर उनके भी आंसू टपकने लगे। इसके बाद दोनों का प्यार परवान चढ़ा और शादी तक पहुंचा। हालांकि हरिवंश राय बच्चन की यह दूसरी शादी थी। उनकी पहली पत्नी का आकस्मिक निधन हो गया था। महाविद्यालय की प्रिंसिपल अनिता सहरावत ने बताया कि हिसार में यह कॉलेज 1948 में ही आ गया था लेकिन भवन आदि की व्यवस्था के बाद यह कॉलेज 1954 में शुरू हो गया और भाई बाल मुकंद इसके संस्थापक प्रिंसिपल रहे। 1956 में इस महाविद्यालय का पहला

भवन बना।

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