मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

जहां होती है शिव के मुख की पूजा

08:51 AM Sep 09, 2024 IST

कमलेश भट्ट
देवभूमि उत्तराखंड में भगवान शिव के पांच ऐसे प्रमुख मंदिर हैं जहां भगवान शिव की पूजा होती है। इन्हें पंचकेदार के नाम से जाना जाता है। पंचकेदार में केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर व कल्पेश्वर शामिल हैं। आज जानते हैं भगवान रुद्रनाथ मंदिर के बारे में...
रुद्रनाथ एकमात्र और अनोखा ऐसा शिव मंदिर है, जहां भगवान भोलेनाथ के मुख की पूजा होती है। यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है।

Advertisement

समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर (11,800 फीट) की ऊंचाई पर इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 20 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था। मंदिर के भीतर भगवान शिव के बैलरूप में मुख के दर्शन होते हैं। इस मंदिर के बाहर बाईं ओर पांचों पांडवों युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव व उनकी माता कुंती, पत्नी द्रौपदी, वन देवता और वन देवियों की मूर्तियां हैं। मंदिर के दाईं ओर यक्ष देवता का मंदिर है, जिन्हें स्थानीय लोग जाख देवता कहते हैं।
किंवदंती है कि कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद भगवान शिव पांडवों से रुष्ट हो गए थे। भगवान शिव को मनाने के लिए पांडव उनकी तलाश में हिमालय पर गए, लेकिन भगवान शिव उनसे छिपते रहे। भगवान ने बैलरूप धारण कर दिया और जमीन में चले गए। इसके बाद वह पांच अलग-अलग स्थानों पर लौट आए। इन्हीं पांच स्थानों को पंचकेदार के रूप में जाना जाता है। रुद्रनाथ में बैल के मुख वाला अंग है और यहां इसी की पूजा होती है।
शीतकाल में रुद्रनाथ मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। इस दौरान उनकी डोली गोपेश्वर लाई जाती है और फिर कपाट खुलने पर डोली वापस ले जाई जाती है। डोली यात्रा गोपेश्वर से सागर होते हुए शुरू होती है। इस दौरान रास्ते में पितरधार भी पड़ती है। मान्यता है कि यहां पूर्वजों का श्राद्ध करने से उन्हें मुक्ति मिलती है। रुद्रनाथ मंदिर के पुजारी गोपेश्वर कस्बे के भट्ट और तिवारी हैं।
जानकारी मंदिर के पुजारी पंडित हरीश भट्ट से बातचीत पर आधारित।

Advertisement

Advertisement