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चुनाव जिता दे जो, वो हुनर कहां से लाऊं

06:35 AM May 04, 2024 IST
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सहीराम

चुनाव जीतने के लिए भी जी, तरह-तरह के हुनर चाहिए। एक नेतागिरी के हुनर से काम नहीं चलता। वैसे नेतागिरी का हुनर क्या है? यह भी अपने आपमें एक बड़ा सवाल है। नेतागिरी का हुनर कई तरह के हुनरों का समूह होता है। हुनरों का एक गुच्छ होता है। गुलदस्ता होता है। जैसे एक हुनर होता है जिसे गिरगिटी हुनर कह सकते हैं अर्थात‍् मौका मुकाम के मुताबिक रंग बदलने का हुनर। रंग बदलने का अर्थ यहां पार्टी बदलना ही होता है। काले से गोरा होना नहीं होता। उसके लिए तो दस-पांच रुपये की क्रीम ही काफी है। एक हुनर होता है अभिनय का हुनर। कई नेता इस हुनर में इतने पारंगत होते हैं कि दिग्गज अभिनेता भी उनके सामने पानी भरें। वो बिल्कुल वो वाले होते हैं- तेरे लिए मैं रो सकता हूं, गा सकता हूं, पीड़ित होने का ऐसा ड्रामा कर सकता हूं कि ट्रैजिडी किंग भी मेरे सामने पानी भरे। इतना फनी हो सकता हूं कि कॉमेडियन भी फीका पड़ जाए। फिर एक हुनर झूठ बोलने का होता है। नेतागिरी के लिए आदमी को झूठ बोलने में पारंगत होना चाहिए। झूठ को झूठ मानते हुए यूं सच की तरह बोलना कि सुनने वाले को लगे कि भैया है तो एकदम ही झूठ, लेकिन देखो कितना सच जैसा है। ऐसा तो सच भी नहीं हो सकता, जितना यह झूठ सच है।
लेकिन नेतागिरी के लिए सिर्फ नेतागिरी का हुनर ही काफी नहीं है। इसके लिए कई दूसरे हुनर भी आने चाहिए। एक पार्टी ने टिकट बंटवारे के लिए इसी तरह की हुनरमंदी की परीक्षा ली। इसके कुछ विजेताओं से आप भी परिचित हो लीजिए। यह हैं गुजरे जमाने की एक बेहद खूबसूरत फिल्मी हीरोइन। उन्हें चैलेंज दिया गया था कि आपको खेतों में जाकर गेहूं की पकी खड़ी फसल काटनी है। उन्होंने पार्टी हाईकमान को अपने हुनर का कायल ऐसे फोटो दिखाकर किया- यह देखिए सर मेरे हाथ में यह दरांती है। मुझे पार्टी कार्यकर्ताओं ने बताया था कि फसल इसी से कटती है। यह देखिए मैं इसी से फसल काट रही हूं। यहां मैंने गेहूं के पौधों को पकड़ रखा है और दरांती चला रही हूं देखिए। और यह देखिए यह कटा हुआ गेहूं मेरे हाथ में है और यहां मैं पूलियां बना रही हूं।
पार्टी हाईकमान ने उन्हें एकदम योग्य उम्मीदवार मानते हुए टिकट थमा दिया। इसी तरह से देश के एक बड़े करोड़पति सेठ को पल्लेदारी करने का टास्क दिया गया। पहले तो सेठजी हंसे कि यह क्या मजाक है, लेकिन फिर उन्होंने चैलेंज स्वीकार कर लिया। नयी-नयी पार्टी बदली थी और टिकट जरूर चाहिए था। सो अनाज मंडी में पहुंचे और अनाज का बोरा ऐसे उठा लिया, जैसे कोई जिम्मेदारी उठा रहे हों। हाईकमान खुश हुआ और उन्हें चुनाव का टिकट दे दिया।

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