जो नहीं हो रहा था वह हो गया
जो अभी तक नहीं हो रहा था, वह सब कुछ हो गया है जी! जी नहीं, बात यह नहीं है कि जून में राजस्थान के रेगिस्तान में बारिश हो रही है। नहीं, सचमुच हुई है जी। किसी खबरिया चैनल पर कहीं और की बारिश और तूफान दिखाकर कोई भद्दा-सा नाटक नहीं किया गया है कि तूफान की वजह से एंकरानी तो ज्यादा लहराए और छतरी कहीं से हिले भी न। अभी तक फिल्मी बारिशों में भी छतरी तो कम से कम उड़ती ही रही है। खैर, जो भी हो, पर जून के महीने में रेगिस्तान में बारिश हो गयी। इसीलिए तो कह रहे हैं कि जो अभी तक नहीं हो हुआ था, वह सब हो रहा है। अब देखिए, विपक्ष की एकता नहीं हो रही थी। भाजपा वाले भी मजाक बना रहे थे कि हो ही नहीं सकती साहब। ममता दीदी और वामपंथी साथ आएंगे क्या? केजरीवाल और कांग्रेस साथ आएंगे क्या? पर देख लो, विपक्षी पार्टियों की पटना वाली मीटिंग तो हो गयी साहब। उधर मोदीजी ने प्रेस कांफ्रेंस भी कर दी। जलकुकड़े इतने दिन से यही राग तो अलाप रहे थे कि मोदीजी ने आज तक एक प्रेस कंाफ्रेंस तक तो की नहीं। पर कर दी। रिकॉर्ड तोड़ दिया। भले ही विदेश में जाकर तोड़ा हो, पर प्रेस कांफ्रेंस तो कर दी न। फिर सवाल चाहे दो ही क्यों न रहे हों और जवाब का सवाल से चाहे कोई संबंध भी न रहा हो। आगे से नेताओं को अपनी प्रेस कांफ्रेंसों में दो सवालों का नियम बना देना चाहिए।
उधर मौसम विज्ञानी कह रहे हैं कि बिपरजॉय चक्रवात ने कुछ काली बिल्ली के स्टाइल में मानसून का रास्ता काट दिया है। मतलब मानसून में अब देरी हो सकती है। इसी तरह लोग कह रहे थे कि चंद्रशेखर राव ने भी कुछ-कुछ काली बिल्ली स्टाइल में ही विपक्षी एकता का रास्ता काट दिया है। उन्हें केजरीवालजी से बड़ी उम्मीद थी कि वे जरूर वहां रायता फैलाएंगे। फिर भी किसी तरह के अपशकुनों की परवाह न करते हुए विपक्षी पार्टियों की पटना मीटिंग हो गयी। अब कहने वालों का क्या है साहब। वे तो यह भी कह रहे थे कि राहुल गांधी ने मोदीजी से पहले अमेरिका की यात्रा कर बड़ी जबर्दस्त पेशबंदी कर दी है। अपना एजेंडा सेट कर दिया है। विमर्श तय कर दिया है। कहीं इसी वजह से तो वहां मोदी विरोधी प्रदर्शन नहीं हुए। फिर भी मोदीजी की अमेरिका यात्रा हुई। और सबसे बड़ी बात यह कि उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस की। हालांकि जिस तरह का सवाल किया गया उससे पता चलता है कि वे प्रेस कांफ्रेंस क्यों नहीं करते। खैर, जैसे जून की बारिश लू में तपते लोगों को राहत देती है, वैसे ही पटना की मीटिंग से विपक्ष वालों को राहत महसूस हुई है और मोदीजी की प्रेस कांफ्रेंस से भाजपा वालों को राहत महसूस हुई है।