For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

क्या कहिए ऐसे अस्पतालों को, जहां शून्य हों सुविधाएं

06:34 AM Jul 04, 2024 IST
क्या कहिए ऐसे अस्पतालों को  जहां शून्य हों सुविधाएं
Advertisement

मदन लाल गर्ग/ हप्र
फतेहाबाद, 3 जुलाई
फतेहाबाद में अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों के नाम पर भले ही इमारतें बना दी गयी हों, लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण लोगों को यहां-वहां भटकना पड़ता है। और तो और राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 9 पर स्थित फतेहाबाद जिला मुख्यालय पर बने नागरिक अस्पताल में तो एक भी सर्जन नहीं है। हाईवे पर होने के कारण प्रतिदिन सड़क हादसों के घायल यहां आते हैं, लेकिन हड्डी रोग का डॉक्टर न होने के कारण मरीजों को निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है। लोग यहां ट्रामा सेंटर की मांग कर रहे हैं, लेकिन हकीकत तो यह है कि यहां शुगर, ब्लड प्रेशर तक के मरीजों को सुविधा नहीं मिलती। फतेहाबाद का जिला नागरिक अस्पताल हो या टोहाना व रतिया का उपमंडलीय नागरिक अस्पताल, सुविधाएं सब जगह लगभग शून्य हैं। कुल मिलाकर ये अस्पताल मात्र कंक्रीट के भवन बनकर रह गए हैं। यहां पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 20 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा चार प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र हैं, किसी में भी ऑपरेशन के लिए चिकित्सक नहीं हैं। सर्जरी के लिए पूरे जिले का स्वास्थ्य विभाग मरीजों को रैफर करने का काम करता है। जिले में एमडी मेडिसिन, हड्डियों का सर्जन, एमडी पैथोलॉजी का एक भी चिकित्सक नहीं है। बच्चों के लिए भी मात्र एक डॉक्टर जिला मुख्यालय पर कॉन्ट्रैक्ट पर है। उनके भी छोड़कर जाने की चर्चा है। ऐसे में नौनिहालों की देखरेख का सवाल खड़ा हो जाता है। अालम यह है कि कुल 173 डॉक्टरों के मुकाबले 91 डॉक्टरों के कंधों पर पूरे जिले की स्वास्थ्य सेवा टिकी हुई है। जो डॉक्टर हैं भी तो उनमें से कुछ लंबी छुट्टियों पर और कुछ गैर हाजिर ही रहते हैं। कई महीनों से सिविल सर्जन का पद खाली पड़ा है। सिरसा के सिविल सर्जन महिंद्र कुमार भादू को अतिरिक्त चार्ज दे रखा है। सबसे बड़ी समस्या उन सरकारी कर्मचारियों को भुगतनी पड़ती है, जिन्हें क्रिटिकल बीमारी के लिए हर महीने दवाईयां लिखवानी होती हैं। उन्हें अग्रोहा मेडिकल कालेज या हिसार के नागरिक अस्पताल में जाना पड़ता है।
हर बुधवार होता है इंटरव्यू, पर आता कोई नहीं जिला नागरिक अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुभाष चंद ने बताया कि हर बुधवार महिला रोग विशेषज्ञ सहित खाली पदों के लिए इंटरव्यू होता है। कागजात लेकर आए डॉक्टर को कॉन्ट्रैक्ट पर तुरंत नौकरी मिल भी जाती है, लेकिन हैरत की बात है कि कोई आता ही नहीं। उन्होंने बताया कि महिला रोगियों के लिए एक निजी चिकित्सक भी रखी हुई है, जिन्हें प्रति केस के हिसाब से पेमेंट की जाती है।

ज्यादातर डॉक्टरों के पद खाली

जिला मुख्यालय पर सरकारी अस्पताल में स्वीकृत पद 42 हैं, लेकिन 29 ही कार्यरत हैं। इसी प्रकार टोहाना के नागरिक अस्पताल में 42 में से 20 पद खाली है। रतिया में 11 में से पांच पद खाली हैं, भूना में सात में दो पद तथा जाखल में सात में से तीन पद खाली हैं।

Advertisement

क्या कहते हैं सीएमओ

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) महिंद्र कुमार का मानना है कि जिले के अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। इसके लिए प्रदेश मुख्यालय को भी अवगत कराया जा चुका है। भर्ती भी निकाली जाती हैं, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक आते ही नहीं। उन्होंने कहा कि महिला रोगियों की सुविधा के लिए एक निजी चिकित्सक की सेवा ली जा रही है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
×