सत्य दर्शन से कल्याण
साथियों संग घुड़सवार हो, बस्ती से गुजर रहे एक राजकुमार को अचानक हृदय व्यथित कर देने वाला क्रंदन सुनाई पड़ा। उन्होंने दर्दभरी चीत्कार का कारण जानना चाहा। साथियों ने अवगत कराया कि एक व्यक्ति अपने दास को बुरी तरह पीट रहा है जिसकी यह दर्दभरी कराहट है। राजकुमार ने पूछा कि दास का अपराध क्या है? उत्तर मिला-वह दास खरीद लिया गया है जिसके साथ बतौर मालिक जैसा चाहे वैसा व्यवहार कर सकता है। इस बाल राजकुंवर का अंतर्मन व्यथित हो गया। मन ही मन संकल्प लिया कि उनके राज्य में ऐसी पीड़ादायक दास प्रथा का अंत कर दिया जाएगा। कठोर तपस्या के पश्चात इसी राजकुमार को एक सत्य के दर्शन हुए, जिनकी ज्ञानचेतना ने जैन धर्म का 24वां तीर्थंकर बना दिया। जो राजा सिद्धार्थ के पुत्र वर्द्धमान से कालांतर में ‘महावीर स्वामी’ के नाम से आद्यांत प्रतिष्ठित एवं पूजित हैं। अहिंसा परम धर्म प्रचारित कर पशुबलि व मानव उत्पीड़न को दूर करने में महावीर स्वामी का योगदान अप्रतिम है।
प्रस्तुति : बनीसिंह जांगड़ा