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मोरनी के पर्यटन पर मौसम की मार, समर सीजन ठंडा रहने के आसार

09:24 AM Jun 17, 2024 IST
मोरनी के पर्यटन पर मौसम की मार  समर सीजन ठंडा रहने के आसार
मोरनी में गर्मी के कारण कम हुआ टिक्करताल में पानी। -हप्र
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एस.अग्निहोत्री/ हप्र
पंचकूला, 16 जून
प्रदेश के एकमात्र पहाड़ी क्षेत्र मोरनी में गर्मी कहर बरपा रही है। इससे यहां वीकेंड को छोड़ कर अन्य दिनों में सैलोनियों की आमद लगातार कम होती जा रही है। इससे पर्यटन व्यवसायियों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच रही हैं। भीषण गर्मी के चलते इस बार समर सीजन पिटने के आसार बढ़ गए हैं।
गर्मी के सीजन शुरू होने से पहले ही इस बार मोरनी के जंगलों में आग लगने की घटनाएं खूब हुईं, जिससे मोरनी इलाके का तापमान ज्यादा हो गया। इसके अलावा, अब मैदानी इलाको में जहां पिछले एक सप्ताह से भीषण गर्मी पड़ रही है और तापमान करीब 46 डिग्री से ज्यादा पहुंच गया है। मोरनी इलाके में भी दिन का तापमान 38 डिग्री से ज्यादा रहा है। मोरनी इलाके में छोटे बड़े 100 से ज्यादा होटल, गेस्ट हाउस हैं, जहां पहाड़ी स्थल के लोग व्यवसाय कर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं।
पर्यटन कारोबार से जुड़े विनोद शर्मा का कहना है कि इस बार मोरनी में आग बरस रही है। उन्होंने कहा कि यहां पंखे भी गर्म हवा दे रहे हैं। ऐसा पहले कभी नहीं देखा था। यहां शाम को 6 बजे के बाद ठंडी हवा चलने से थोड़ी राहत मिलती है। टिक्कर ताल के राजेश कुमार ने कहा कि यहां भी गर्मी प्रचंड रूप दिखा रही है। इन दिनों में यहां पर्यटकों की लाइनें नहीं टूटती थीं, लेकिन इस बार गर्मी ने सभी के पसीने छुडा रखे हैं। पर्यटको की भीड़ केवल वीकेंड तक सिमट गई है।
उल्लेखनीय है कि मोरनी हरियाणा का इकलौता पर्यटन स्थल है, जो ट्राईसिटी के निकट होने के कारण सैलानियों की मनपसंद जगह बना हुआ है। यहां सरकार ने सुविधाएं उपलब्ध करवा रखी हैं और हरियाणा पर्यटन निगम के कई रेस्तरा हैं। इसके अलावा, टिक्करताल में एडवेंचर गतिविधियां, लेक भी आकार्षण का केंद्र हैं, जहां वर्ष भर सैलानियों की भीड़ रहती है, लेकिन इस बार गर्मी बढ़ने से पर्यटन सीजन मंदी के दौर से गुजर रहा है।

टिक्करताल का जलस्तर घटा

गर्मी से मोरनी में पानी के प्राकृतिक स्रोत सूख रहे हैं। मोरनी के विश्व प्रसिद्ध टिक्करताल का पानी भी लगातार सूख रहा है। टिक्करताल का जलस्तर कम होने के कारण लोग चिंतित हैं। छोटा टिक्कर के मातू राम ने कहा कि उन्होंने कभी टिक्कर का जल स्तर इतना कम होते नहीं देखा था। उन्होंने कहा कि इस बार छोटा ताल सूख रहा है। अगर शीघ्र बारिश न हुई तो यहां फसलों की बुआई भी लोग नहीं कर पायेंगे।

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